पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद भारत के एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश की माली हालत खस्ता है।
डॉलर की कमी झेल रहे बांग्लादेश में महंगाई और उत्पादों के निर्यात पर भारी संकट बना हुआ है।
खाद्य और गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों बढ़ोतरी के कारण फरवरी में बांग्लादेश की मुद्रास्फीति 8.78 प्रतिशत पर पहुंच गई। रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बांग्लादेश की मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 8.78 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
इससे एक महीना पहले यानी जनवरी में यहां मुद्रास्फीति की दर 8.57 प्रतिशत थी।
विदेशी मुद्रा भंडार बड़ा संकट
इतना ही नहीं बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार का भी संकट बना हुआ है। एक्सपर्ट्स की मानें तो विदेशी मुद्रा संकट और अवैध लेनदेन के कारण बांग्लादेश में समग्र आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचा रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार के पर्याप्त नहीं होने के कारण कई व्यापारिक बैंक आयात को लेकर लेटर ऑफ क्रेडिट जारी नहीं कर पा रहे हैं। बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर सालेहुद्दीन अहमद का मानना है कि जब तक ओवर-इनवॉइसिंग और हुंडी की जांच नहीं होती, तब तक डॉलर की कमी बनी रहेगी।
सालेहुद्दीन अहमद ने चेतावनी देते हुए कहा, “सरकार को तुरंत ओवर-इनवॉइसिंग की जांच करनी चाहिए।” इधर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बांग्लादेश के लिए 4.7 बिलियन डॉलर के समर्थन लोन पैकेज पर हस्ताक्षर किया हैं। जिससे बांग्लादेश बढ़ती ऊर्जा और खाद्य लागत से निपटने में मदद मिलेगी।
बांग्लादेशी टका में आई गिरावट
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद फॉसिल फ्यूल के आयात पर निर्भर बांग्लादेश को आर्थिक और बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले साल 13 घंटे तक के राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट ने बिजली ग्रिड को प्रभावित किया। बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार 46 अरब डॉलर से 34 अरब डॉलर तक गिर गया है।
आईएमएफ लोन का उपयोग बांग्लादेश इसे बढ़ाने के लिए कर सकता है। पिछले मई से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे पेट्रोल और बिजली की लागत बढ़ गई है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में काफी असर पड़ा।
पाकिस्तान-श्रीलंका के साथ आ खड़ा है बांग्लादेश
विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने संकट के लिए सरकार को दोषी ठहराया है, उस पर अरबों डॉलर की वैनिटी परियोजनाओं पर नकदी बर्बाद करने का आरोप लगाया है।
इसके चलते शेख हसीना के इस्तीफे और आम चुनाव की मांग कराने की मांग तेज हो गई है। बांग्लादेश उन कई दक्षिण एशियाई देशों में से एक है जो पिछले एक साल में आर्थिक झटके से निपटने की कोशिश कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।