लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को एक और झटके के आसार नजर आ रहे हैं। इसके सीधे संकेत उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर बढ़ी समाजवादी पार्टी की सक्रियता से मिल रहे हैं।
खबर है कि पार्टी प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव अमेठी की जानकारी जुटा रहे हैं। खास बात है कि बीते चार चुनावों में सपा ने इस सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में भाजपा सेंध लगा चुकी है।
रविवार को ही यादव अमेठी पहुंचे थे। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मैं अमेठी में गरीब महिलाओं की हालत देखकर दुखी हुआ।
VIPs इस सीट से जीत हार रहे हैं और उसके बाद भी यहां ऐसी स्थिति है, तो बाकी राज्य के बारे में क्या कहें? अगली बार अमेठी बड़े लोग नहीं बड़े दिलवाले लोगों को चुनेगा। सपा अमेठी से गरीबी हटाने की कसम खाती है।’
कांग्रेस ने गंवा दिया था गढ़
साल 2019 लोकसभा चुनाव में ही राहुल को भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरीं स्मृति ईरानी ने हरा दिया था। हालांकि, राहुल केरल की वायनाड सीट से जीतकर लोकसभा तक पहुंच गए थे।
सपा के एक प्रवक्ता कहते हैं, ‘कांग्रेस ने पिछली बार अमेठी गंवा दिया और इसलिए यह अब कांग्रेस की सीट नहीं है। यहां भाजपा जीती थी और अब यह भाजपा की सीट है।’ उन्होंने 2024 में भाजपा को हराने की बात कही।
कांग्रेस के साथ जाने से इनकार कर रही है सपा
सपा पहले ही साफ कर चुकी है कि वह कांग्रेस या बहुजन समाज पार्टी के साथ 2024 चुनाव में नहीं उतरेगी। अमेठी में अखिलेश यादव ने भी कहा था, ‘2024 का चुनाव समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन के साथ लड़ने जा रही है।’
फिलहाल, सपा राष्ट्रीय लोक दल के साथ है। खबर है कि अमेठी जिले के दौरे पर अखिलेश ने लोकसभा क्षेत्र की जानकारियां मांगी हैं। हालांकि, पार्टी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सीट रायबरेली को लेकर कोई फैसला नहीं किया है।
इतिहास समझें
सपा ने आखिरी बार अमेठी सीट से साल 1999 में उम्मीदवार उतारा था। उस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार चुनाव लड़ रही थीं। एक ओर जहां कांग्रेस के खाते में 67 फीसदी वोट आए। वहीं, सपा उम्मीदवार कुमारुज्जमा फौजी के 2.67 प्रतिशत वोट मिले थे।
इसके बाद साल 2004 में सपा ने राहुल गांधी को वॉकओवर दे दिया। हालांकि, तब सपा ने रायबरेली पहुंचीं सोनिया के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद साल 2009 और 2004 में सपा ने अमेठी और रायबरेली में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। दोनों ही बार राहुल और सोनिया ने अपनी-अपनी सीटों से जीत दर्ज की।
यादव परिवार और कांग्रेस
एक ओर जहां सपा अमेठी और रायबरेली के चुनावी मैदान से दूर रहे। वहीं, कांग्रेस ने भी लोकसभा चुनाव में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे।
साल 2014 में मुलायम मैनपुरी और आजमगढ़ से मैदान में थे। उस दौरान कांग्रेस ने मैनपुरी से दूरी बनाई, लेकिन आजमगढ़ से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने कन्नौज सीट से अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को वॉक ओवर दिया था।
साल 2019 में भी कांग्रेस ने मैनपुरी, आजमगढ़, कन्नौज और अखिलेश के कजिन अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद से उम्मीदवार नहीं उतारा। नतीजे घोषित हुए, तो अखिलेश और मुलायम तो जीते, लेकिन डिंपल और अक्षय हार गए।
कांग्रेस के साथ मेल रहा फेल
साल 2017 में अखिलेश और राहुल ‘यूपी के लड़के’ नारे के साथ गठबंधन कर चुके थे। हालांकि, इसे चुनावी सफलता नहीं मिली और राज्य में भाजपा की सरकार बनी।
311 सीटों पर लड़ने वाली सपा केवल 47 ही जीत सकी। जबकि 114 पर उतरी कांग्रेस के खाते में महज 7 सीटें ही आईं।