वीण नंगिया (ज्योतिष सलाहकार):
होली से अनेक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं जिनके अनुसार कहा जाता है कि होली के दिन भद्रा काल (Bhadra Kaal) अशुभ होता है।
असल में भद्रा सूर्य पुत्री हैं और शनि देव के साथ-साथ यमराज की बहन भी हैं। इस चलते भद्रा के साये को कठोर माना जाता है। भद्रा के साये में होलिका दहन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियां भी आ सकती हैं।
इस साल 7 मार्च के दिन होलिका दहन किया जाएगा। जानिए भद्रा काल का समय और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त।
होलिका दहन पर भद्रा काल | Bhadra Kaal On Holika Dahan
इस साल भद्रा काल की शुरूआत 6 मार्च शाम 4 बजकर 48 मिनट पर हो रही है जो अगले दिन 7 मार्च शाम 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
इस चलते पंचांग के अनुसार इस साल होलिका दहन पर भद्रा काल नहीं लगेगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) 7 मार्च की शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
क्यों किया जाता है होलिका दहन
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक राजा हुआ करता था जिसे वरदान प्राप्त था कि वह आम इंसान की तरह नहीं मर सकेगा।
ना हिरण्यकश्यप को रात में मारा जा सकता था ना ही दिन के समय। उसे ना कोई इंसान मार सकता था और ना ही कोई दानव या जानवर। ना घर के बाहर हिरण्यकश्यप मर सकेगा और ना ही घर के अंदर। इस अंहकार से चूर हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा था।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद (Prahlad) अपने पिता से बिल्कुल विपरीत था। वह विष्णु (Lord Vishnu) भक्त था जिस चलते हिरण्यकश्यप उसे मारना चाहता था।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में ना जलने का वरदान था। अपने भाई के कहने पर होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर खाक हो गई।
इसीलिए बुराई पर अच्छाई की जीत के कारण हर साल होलिका दहन मनाया जाने लगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)