पाकिस्तान के लोग गेहूं के आटे, दाल और दवाओं के लिए कतार में खड़े हैं। लेकिन पाकिस्तानी सेना के जनरलों ने नए हथियारों के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा हड़प लिया है।
आर्थिक कंगाली से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी गलतियों से सबक नहीं ले रहा है। ये बातें अफगान डायस्पोरा नेटवर्क (ADN) ने अपनी रिपोर्ट में कही हैं।
इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान आज जिस बदतर स्थिति में है उसके लिए पाकिस्तानी सेना बहुत ज्यादा जिम्मेदार है। पाकिस्तानी सेना इस बात से इनकार नहीं कर सकती है कि आम लोगों के हिस्से का छीनकर खुद का पेट भर रही है।
अधिकारियों की शानो शौकत पर खर्च हो रहा पैसा
रिपोर्ट में कहा गया है कि संकट के समय में, पाकिस्तान की तथाकथित संरक्षक सेना ने 10 बिलियन अमरीकी डालर को आम लोगों के साथ साझा करने से इनकार कर दिया है।
ये वही पैसा है जिसे सेना ने अपने विभिन्न उद्यमों के जरिए हासिल किए हैं। ये पैसा सैन्य अधिकारियों की शानो शौकत पर खर्च हो रहा है।
ज्यादातर पैसा जनरलों की सेवा में खर्च हो रहा है जो अपने लिए जमीन, मकान और अन्य लाभों ले रहे हैं। यह बड़ी राशि सार्वजनिक डोमेन से बाहर है। यानी इसका पाकिस्तानी सरकार से कोई लेना देना नहीं है।
2022-23 का रक्षा बजट 1.53 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) होने का अनुमान है, जो 2021-22 के मूल सैन्य खर्च से 12 प्रतिशत अधिक है।
एडीएन की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ ऋण शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान पहले से ही बोझ से दबे लोगों पर भारी टैक्स लगा चुका है।
ऐसे में रक्षा बढ़ाने को लेकर पाक सरकार के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। रक्षा बजट में कोई कमी नहीं आई है जबकि देश आर्थिक रूप से गढ्ढे में चला गया है। इस वर्ष वृद्धि विकास क्षेत्र, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास पर खर्च में कटौती जरूर की गई है।
कोरोना और बाढ़ के दौरान भी नहीं दिए पैसे
पाकिस्तानी सेना ने 2019 में 669 मिलियन अमरीकी डालर की कमाई की थी, जो 2020 में 760 मिलियन अमरीकी डालर और 2021 में 884 मिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गई।
ये वही वर्ष थे जब देश को कोविड महामारी और फिर प्रलयकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। सेना की खरीद पर ताजा डेटा गोपनीय है लेकिन पिछले बजटों पर नजर दौड़ाएं तो पाकिस्तानी सेना जमकर हथियार खरीद रही है।
उदाहरण के लिए, 2021 में सेना ने 263 मिलियन अमरीकी डालर के बख्तरबंद वाहन खरीदे। जबकि 2020 में यह संख्या 92 मिलियन अमरीकी डालर थी। ये वाहन पारंपरिक युद्ध क्षमताओं को बनाए रखने और एडवांस करने के पाकिस्तान के प्रयासों का हिस्सा थे।
इसी तरह, नौसेना ने पिछले वर्ष 145 मिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 2021 में 358 मिलियन अमरीकी डालर के जहाज और सहायक उपकरण खरीदे।
हालांकि वायुसेना ने पिछले कुछ सालों में कोई बड़ी खरीदारी नहीं की है, लेकिन चीन से ड्रोन और सेंसर के लिए उसका बजट बढ़ गया है। 2021 में, इसने 25 मिलियन अमरीकी डालर के सेंसर का आयात किए। 2020 से यह संख्या 15 मिलियन अमरीकी डालर थी।
युद्ध क्षमताओं को बढ़ा रही सेना
इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना ने साइबर युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी अपने निवेश में वृद्धि की। एडीएन ने बताया कि चीन की मदद से एक मेजर जनरल की अध्यक्षता में एक नया साइबर डिवीजन स्थापित किया गया है।
पाकिस्तान ने 2021 में एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति भी जारी की है जो साइबर के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डोमेन में अपनी क्षमता बढ़ाने का प्रयास है।
हाल ही में चीन से ड्रोन जेएक्स गन की वायु सेना की खरीद चौकाने वाली रही। पाकिस्तान ने तुर्की की मदद से एक गुप्त साइबर सेना इकाई भी स्थापित की है, जबकि चीन ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्प्लेक्स ऑफ पाकिस्तान (NECOP) के तहत सूचना सुरक्षा प्रयोगशाला (ISL) स्थापित करने में मदद की है।