दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकती है जनजातीय भाई-बहनों की हलमा परम्परा, अद्भुत है जनजातीय परम्परा हलमा, इसे मैं प्रणाम करता हूँ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमारे झाबुआ और अलीराजपुर जिले की हलमा परम्परा अद्भुत है।
जनजातीय भाई-बहनों द्वारा सहभागिता की यह परम्परा आज दुनिया को ग्लोबलवार्मिंग से बचा सकती है।
इस परम्परा से दुनिया को सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि ग्लोबलवार्मिंग से दुनिया को बचाना है तो अकेले सरकार नहीं बचा सकती।
हलमा जैसी परम्परा में सरकार और समाज मिल कर खड़े हो जाएँ तो हम दुनिया को बचाने का संदेश हलमा से दे सकते हैं। हलमा हमको सिखाता है कि कैसे हम मेहनत करें और जनता की भावना के साथ सरकार के साधन मिल कर काम को आसान बनाया जाये।
मुख्यमंत्री चौहान आज झाबुआ जिले के हाथीपाव पहाड़ी पर हलमा उत्सव और विकास यात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज मैं यहाँ हलमा उत्सव में आए सभी परमार्थियों का स्वागत और अभिनन्दन करने आया हूँ।
उन्होंने शिवगंगा परिवार को हलमा की अद्भुत परंपरा को पुनर्जीवित करने और प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए बधाई और साधुवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हलमा ऐसी परंपरा है, जिससे हम प्रकृति को ग्लोबलवार्मिंग से बचा सकते हैं।
उन्होंने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि हाथीपाव की पहाड़ी से यह अलख गाँव-गाँव पहुँच रही है। उन्होंने वनवासी समाज से आग्रह किया कि वे इस महान परंपरा को सतत बनाए रखें।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार और समाज मिल कर खड़े हो जाएँ तो समूचा परिदृश्य बदल सकता है। समाज के संकल्प को सरकार के संसाधन मिलेंगे तो हम एक नया परिदृश्य निर्मित कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को समूचे मध्यप्रदेश में विस्तारित करते हुए जल,, मिट्टी और पर्यावरण-संरक्षण का कार्य करेंगे। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी जनों को इस आशय का संकल्प भी दिलाया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तस्वीर बदल दी है। केंद्र और राज्य की सरकार गरीब कल्याण को समर्पित है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने जनजातीय कल्याण के लिए कोई कसर शेष नहीं छोड़ी है।
पिछली सरकार ने तो संबल और तीर्थ-दर्शन जैसी योजनाएँ और अनुदान की व्यवस्थाओं को ही बंद कर दिया था। हमारी सरकार बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त करने और परिवारों की बेहतरी के लिए लाड़ली बहना योजना आरंभ कर रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने उपस्थित जन-समुदाय को शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिक से अधिक सहयोग कर जन-भागीदारी को प्रोत्साहित करने का संकल्प दिलाया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यक्रम में जनजातीय भाई-बहनों को पेसा नियम के प्रावधानों से अवगत कराने शिक्षक की भांति पढ़ाया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज को अधिकार संपन्न बनाने में पेसा नियम की अहम भूमिका रहेगी। प्रदेश में जनजातीय अंचल में धर्म परिवर्तन का कुचक्र चलने नहीं दिया जाएगा।
छल-कपट से जनजातियों की ज़मीन छीनने की कोशिशों को सख़्ती से नकारा जाएगा। उन्होंने कहा कि पेसा नियम में तेंदूपत्ता संग्रहण का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया गया है।
यह व्यवस्था इसलिए की गई है, जिससे गाँव का तेंदूपत्ता गाँव में ही टूटे और संग्रहण एवं विक्रय का अधिकार भी गाँव में ही रहे। राज्य सरकार तेंदूपत्ता तुड़वाने की मजदूरी भी देगी और उसकी मार्केटिंग के लिए ग्राम सभाओं को आवश्यक सहयोग और प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पेसा नियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि मजदूरी के लिए ग्रामीणों को गाँव से बाहर ले जाने वाले व्यक्तियों को ग्रामसभा को यह बताना होगा कि वह, गाँव के लोगों को कहाँ और कितने दिन के लिए ले जा रहे हैं।
मजदूरी के लिए गाँव से बाहर जाने वाले व्यक्तियों का शोषण न हो और उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़े, इस उद्देश्य से यह व्यवस्था की गई है।
गाँव में नई शराब की दुकान खोली जाना है या नहीं इस संबंध में भी फैसला अब ग्रामसभा ही लेगी। अब एक सीमा से अधिक ब्याज कोई नहीं ले पाएगा।
ज्यादा ब्याज वसूलने वालों पर ग्रामसभा नजर रखेगी। गाँव के छोटे-मोटे झगड़े और विवाद सुलझाने के लिए शांति और विवाद निवारण समितियाँ गठित की जा रही हैं।
समितियों में गाँव के बड़े बुजुर्ग ही झगड़े और विवाद सुलझाएँगे, लोगों को छोटी-छोटी बातों के लिए पुलिस थानों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं को लाड़ली बहना योजना की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं की मदद के लिए राज्य सरकार “लाड़ली बहना” योजना शुरू कर रही है।
ऐसे गरीब परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख रूपए से कम है, जिन किसान परिवारों के पास 5 एकड़ से कम भूमि है। ऐसे परिवार की महिलाएँ इस योजना के लिए पात्र होंगी।
योजना में बहनों को 1000 रूपये प्रति माह उपलब्ध कराये जायेंगे। यह योजना गरीब परिवारों की हालत बदलने और कुपोषण का अंत करने में सहायक होगी।
योजना के आवेदन मार्च-अप्रैल में लिए जाएंगे, मई में आवेदनों की जाँच होगी और जून माह की 10 तारीख से बहनों के खाते में पैसा आना आरंभ हो जाएगा।
सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान अपने साथ भोपाल से गैती लेकर यहाँ पहुँचे हैं। यह हमारी परंपरा का सम्मान है, क्योंकि हलमा में पहुँचने वाले सभी वनवासी बंधु भी इसी तरह गैती लेकर पहुँचते हैं।
शिवगंगा अभियान के पद्मश्री महेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने हलमा में शामिल होकर राजधर्म का परिचय दिया है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि पुराने समय में इस हलमा परंपरा से हज़ारों की संख्या में तालाब बनते थे, जिसमें राजा भी इसी तरह शामिल होकर श्रमदान करते थे।
शिवगंगा अभियान के राजाराम कटारा ने हलमा की परंपरा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के लिए दो माह से निमंत्रण दिया जा रहा था। वह निमंत्रण भी भावात्मक प्रकार से गीत गाते हुए दिया जाता है।
कार्यक्रम में डॉ. दीपमाला रावत ने पेसा एक्ट के जनक स्व. दिलीप सिंह भूरिया पर केंद्रित प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने अन्य अतिथियों के साथ यह प्रशस्ति-पत्र स्व. दिलीप सिंह भूरिया की पुत्री पूर्व मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया को प्रदान किया।
विकास कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास
मुख्यमंत्री चौहान ने विकास यात्रा के समापन पर विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ प्रदान किया।
साथ ही 26 करोड़ 17 लाख रूपये की लागत के 45 विकास कार्यों का लोकार्पण और 245 करोड़ 79 लाख रूपये लागत के विभिन्न निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन भी किया। मुख्यमंत्री चौहान का कार्यक्रम स्थल पर भगोरिया नृत्य से स्वागत किया गया।
मुख्यमंत्री ने किया श्रमदान
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने साथ लाई गैती से हाथीपाव पहाड़ी पर श्रमदान भी किया। उन्होंने यहाँ जल-संरक्षण के लिए बनाई जा रही ट्रेंच में गैती चलायी और पीपल का पौधा भी रोपा।
सामाजिक संत कालूराम जी महाराज, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग के अध्यक्ष हर्ष सिंह चौहान, सदस्य अनंत नाइक सहित जन-प्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में जनजातीय समाज के नागरिक उपस्थित थे।