छत्तीसगढ़; धमतरी: धमतरी के झिरिया धोबी समाज ने संत गाडगे बाबा की 147वीं जयंती धूमधाम से मनाई… संत गाडगे बाबा स्वच्छता के संदेश दूत थे- महापौर विजय देवांगन…

धमतरी- प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी बिलाई माता मंदिर के पीछे सामुदायिक भवन में संत गाडगे बाबा की जयंती एवं युवक युवती परिचय सम्मेलन व परिवारिक मिलन समारोह धूमधाम से झिरिया धोबी समाज द्वारा मनाया गया।

समाजजनों के द्वारा महापौर विजय, पार्षदगण सहित अतिथियों का जोरदार स्वागत कर अभिनन्दन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में महापौर विजय देवांगन, कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष झिरिया धोबी समाज धमतरी भरत निर्मलकर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में एमआईसी सदस्य राजेश पांडेय, कमलेश सोनकर, पार्षद पूर्णिमा गजानंद रजक, दीपक सोनकर, नीलू पवार, कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष आकाश गोलछा, झिरिया धोबी समाज धमतरी राज संरक्षक एवं महिला प्रकोष्ठ चित्रलेखा निर्मलकर व कोषाध्यक्ष मंगलु निर्मलकर विशेष रूप से उपस्थित रहे। 

सर्वप्रथम संत गाडगे बाबा के छायाचित्र पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर महापौर विजय देवांगन ने कहा कि कर्मयोगी राष्ट्रसंत गाडगे बाबा का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती शेणगांव जिले के अंजनगांव में 23 फरवरी 1876 को हुआ था।

उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था। गाडगे बाबा सच्चे निष्काम कर्मयोगी थे। संत गाडगे जो कि स्वच्छता संदेश के दूत थे वे जहां जाते वहां सफाई के प्रति विशेष अभियान चलाते थे और अच्छाई और सच्चाई के रास्तों में चलने लोगों को प्रेरित करते थे। 

उन्होंने महाराष्ट्र सहित देश में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण करवाया किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई।

उन्होंने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी।जो अपने आप में बेमिसाल है। 

झिरिया धोबी समाज द्वारा सामुदायिक भवन विस्तार हेतु राशि की मांग की गई जिस पर 5 लाख राशि की घोषणा महापौर देवांगन ने की। तद्पश्चात विंध्यवासिनी वार्ड स्थित मणि कंचन केंद्र का नाम संत गाडगे बाबा के नाम से रखा गया। 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से मनराखन रजक, लक्ष्मण रजक, डमलेश कोसरिया, गुड्डा रजक, सागर निर्मलकर, विजय निर्मलकर, झाड़ू रजक, शुद्धू निर्मलकर, बसंत निर्मलकर, महेश निर्मलकर, सुदामा निर्मलकर, कार्तिक रजक, पंचू रजक समेत समाजगण अधिक संख्या में उपस्थित रहे।

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