भिलाई; नंदिनी माइंस में कृत्रिम जंगल आकार ले रहा है, इसके लिए 3.83 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।
भिलाई इस्पात सयंत्र के नंदिनी माइंस क्षेत्र में पूर्व में किए गए पौधरोपण एवं खनन कार्य के फलस्वरूप वनक्षेत्र विकसित हुआ है, तालाब का भी गहरीकरण कराया गया है। इस प्रकार इस हिस्से को काफी आकर्षक बनाया गया है।
इस क्षेत्र को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित वन के रूप में घोषित किया गया है। दुर्ग वनमण्डल द्वारा नंदिनी माईन्स क्षेत्र को फॉरेस्ट वंडरलैंड के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए 3.83 करोड़ रुपए का प्राक्कलन तैयार कर शासन को भेजा गया है। इस मानव निर्मित जंगल में 10 हजार से ज्यादा पौधे रोपे जाएंगे।
पूरे क्षेत्र को आकर्षक रूप दिया जाएगा। एडवेंचर एक्टिविटी के साधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। यह क्षेत्र पर्यटन के रूप में विकसित होगा।
पर्यटन क्षेत्र के रूप में होगा विकसित
एडवेंचर पार्क में पारासेलिंग, क्वाडबाईकिंग, जिपलाईनिंग, हॉट एयर बैलून, बोटिंग, ट्रेकिंग, कैम्पिंग, स्टार गेजिंग, बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के एडवेंचर एक्टिविटी आदि के साधन उपलब्ध होंगे जहां लोग इसका आनंद ले सकेंगे। नंदिनी क्षेत्र राजनांदगांव से 50 किमी, दुर्ग शहर से 15 किमी, रायपुर से 40 किमी, कवर्धा से 107 किमी, बेमेतरा से 72 किमी की दूरी पर स्थित होने से यहां पर पर्यटक ज्यादा आएंगे।
1300 एकड़ में फैला है यह जंगल
करीब 1300 एकड़ में जंगल विकसित किया जाएगा। 17 किलोमीटर के सर्कल में बनने वाले इस जंगल के बीचो-बीच एक झील होगी। इसके अलावा लोमड़ी, खरगोश, अजगर सहित अन्य एनीमल्स यहां रखे जाएंगे। इतना ही नहीं 10 हजार से ज्यादा साल, सागौन, औषधियुक्त शतावर, अश्वगंधा, बड़, पीपल, बरगद, महुआ, हर्रा, बहेरा जैसे पौधे रोपे जाएंगे। पूरे क्षेत्र को आकर्षक जंगल का रूप दिया जाएगा।
7 हजार पेड़ लगा रहा यहां वन विभाग
बीएसपी ने नंदिनी के इस एरिया के 500 एकड़ में उत्खनन किया गया है। सर्वे के मुताबिक यहां 400 एकड़ क्षेत्रफल में पेड़ लगे हुए हैं जो फुल साइज में हैं। जिसमें सागौन, और आंवला प्रजाति के पेड़ सर्वाधिक हैं। अब यहां जंगल बनाने के लिए बचे हुए खाली एरिया में वनविभाग द्वारा 7 हजार नए पेड़ लगाए जा रहे हैं। इस तरह पूरा वनांचल क्षेत्र यहां बन जाएगा। इससे हरियाली भी बढ़ेगी।
विदेशी पक्षियों को करेगा आकर्षित
उत्खनन के बाद इस हिस्से में पानी जमा हो गया है। इस जगह को झील की तरह विकसित किया जाएगा। सर्वे में यहां स्पॉटबिलडक्स, कोरमोरेंड, बिलसिंग डॅक्स, ओपनबिल स्टोर व अन्य पक्षी मिले हैं। इन पक्षियों का ब्रीडिंग यहां हो ऐसा प्राकृतिक वातावरण विकसित किया जाएगा।