कर्नाटक में आईपीएस (IPS) अफसर डी रूपा मौदगिल और आईएएस (IAS) अधिकारी रोहिणी सिंधुरी की आपसी लड़ाई में नया मोड़ आ गया है।
अब रोहिणी सिंधुरी (Rohini Sindhuri) ने डी रूपा (D Roopa Moudgil) को उनकी टिप्पणी के लिए कानूनी नोटिस जारी किया है।
साथ ही ‘प्रतिष्ठा और मानसिक पीड़ा के नुकसान’ के लिए बिना शर्त लिखित माफी के साथ-साथ हर्जाने के रूप में 1 करोड़ रुपये की मांग की है।
यह नोटिस रूपा के सोशल मीडिया पोस्ट के संदर्भ में जारी किया गया था, जहां उन्होंने सिंधुरी के खिलाफ 19 आरोप लगाए थे और उन पर साथी आईएएस अधिकारियों के साथ अपनी खुद की तस्वीरें साझा करने का आरोप लगाया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिणी सिंधुरी द्वारा दिए गए नोटिस में कहा गया है कि ‘आपके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं और सच्चाई से बहुत दूर हैं, आपने एक गंभीर अपराध किया है।
जिसे भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दंडनीय बनाया गया है। इस प्रकार आपने खुद को कानून के अनुसार दंडित किए जाने के लिए उत्तरदायी बनाया है।’ नोटिस 21 फरवरी को आईएएस अधिकारी की ओर से दिया गया है।
मैसूरु स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गंगाराजू द्वारा उनके और रूपा के बीच कथित बातचीत का ऑडियो जारी करने के घंटों बाद नोटिस को सार्वजनिक किया गया।
ऑडियो में दावा किया गया है कि रूपा के पति, आईएएस अधिकारी मुनीश मौदगिल, सर्वेक्षण, निपटान और भूमि रिकॉर्ड विभाग के आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हितों के टकराव में शामिल थे।
ऐसा आरोप है कि सिंधुरी के परिवार के रियल एस्टेट कारोबार में मदद करने के लिए उन्होंने जमीन के कुछ विवरण साझा किए थे।
नोटिस में रूपा को कथित रूप से मानहानिकारक टिप्पणी करने के लिए माफी मांगने का निर्देश दिया गया है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि माफीनामे को आईपीएस अधिकारी के फेसबुक पेज पर पोस्ट किया जाना चाहिए और मीडिया के साथ साझा किया जाना चाहिए।
नोटिस के मुताबिक, उन्हें सिंधुरी के बारे में फेसबुक पोस्ट भी डिलीट कर देनी चाहिए। नोटिस में कहा गया है कि रूपा की टिप्पणियों ने सिंधुरी और उनके परिवार के सदस्यों को ‘मानसिक पीड़ा’ में डाल दिया था।
नोटिस में आगे कहा गया है ‘टिप्पणियों ने पेशेवर, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में उनकी छवि को बर्बाद कर दिया है।
वह रातों की नींद हराम कर रही हैं, क्योंकि उनकी नैतिक ईमानदारी, चरित्र और आचरण सभी के बीच और विशेष रूप से प्रशासनिक और नौकरशाही सर्कल में चर्चा का विषय बन गया है। हमारे मुवक्किल को जिस मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है, वह अकल्पनीय है।’