चित्रकोट महोत्सव का हुआ रंगारंग शुभारंभ…
जगदलपुर/चित्रकोट। महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर भारत की नियाग्रा कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के तट पर मंगलवार 14 फरवरी को तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव का रंगारंग शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती,मां दंतेश्वरी और छत्तीसगढ़ महतारी की छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने इस भव्य आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि चित्रकोट और बस्तर एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। देश विदेश में लोग बस्तर को चित्रकोट जैसे अदभुत जलप्रपात के कारण पहचानते हैं। चित्रकोट में आयोजित यह महोत्सव बस्तर की जनजातीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहुंचाने का एक सुनहरा अवसर है। उन्होंने कहा कि बस्तर की लोक संस्कृति सहज और सरल होने के साथ ही अत्यंत आकर्षक भी है, जिससे पूरे विश्व को परिचित कराने की आवश्यकता है तथा इस दिशा में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर की जनता उत्सवप्रिय है। छत्तीसगढ़ शासन की नीतियों के कारण किसान,वनोपज संग्राहक, पुजारी,गायता,भूमिहीन कृषि मजदूर, स्व सहायता समूह की महिलाओं में खुशी है। यही कारण है कि मेले मंडइयों में अब लोगों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सांसद दीपक बैज ने कहा की चित्रकोट महोत्सव बस्तर में लगातार तीन दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न खेलकूद भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूरे संभाग के प्रतिभागी शामिल होंगे। इस महोत्सव के माध्यम से हमारी लोक संस्कृति, परंपरा का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही यहां शासन द्वारा संचालित योजनाओं का प्रदर्शन भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां चित्रकोट के साथ तीरथगढ़, तामड़ा घूमर, मेंदरी घूमर, बीजाकसा, चित्रधारा, मंडवा जैसे कई जलप्रपात हैं। चित्रकोट इन सभी जलप्रपातों का सिरमौर है। यही कारण है कि यहां पर्यटकों की संख्या में साल दर साल वृद्धि देखी जा रही है। पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए ही अब लामड़ागुड़ा में भी जिला प्रशासन द्वारा नया रिजॉर्ट तैयार किया गया है, जिसका संचालन स्थानीय महिलाएं कर रही हैं। बस्तर में पर्यटन के विकास का मूल उद्देश्य ही यह है कि स्थानीय युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार प्राप्त हो।
संस्कृति के संरक्षण के लिए देवगुडी और घोटुलों के संरक्षण का कार्य भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया जा रहा है। अनेक जनजातीय संस्कृतियों का मिलन स्थल है। यहां महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर लगने वाले मेले में जहां अपने परिचितों और नाते रिश्तेदारों से मिलने का अवसर मिलता है वहीं यहां की स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है, इसलिए ऐसे सुअवसर का भरपूर आनंद उठाना चाहिए।
चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम ने कहा कि चित्रकोट महोत्सव में बस्तर की विशिष्ट संस्कृति की झलक दिखाई देती है और इसके माध्यम से हमारी लोक संस्कृति का प्रसार हो रही है।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन पर्यटन के विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने लोगों से यहां आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलकूद का आनंद लेने की अपील की। इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच चित्रकोट जलप्रपात के सौंदर्य को अद्भूत बताया।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन कलेक्टर चंदन कुमार द्वारा दिया गया तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश सर्वे द्वारा आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर जनपद पंचायत अध्यक्ष महेश कश्यप,छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के सदस्य बलराम मौर्य,कमिश्नर श्याम धावड़े,पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र कुमार मीणा सहित जनप्रतिनिधिगण और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
महोत्सव के पहले दिन नारायणपुर के मांदरी नर्तक दल, जोड़ा तराई गीदम के पुनेम सुंदरी नर्तक दल, बस्तानार के गौर सिंग नर्तक, दरभा के लेजा परब नर्तक, लेकर के गेड़ी नर्तक, आंजर के ढोल नर्तक, नैननार के गौर सिंग नर्तक, कोमेडियन रविंद्र जानी द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।