आयकर, यानी इनकम टैक्स (Income Tax) हर नौकरीपेशा शख्स के जीवन का वह हिस्सा है, जो बेहद ज़रूरी है।
इनकम टैक्स की कटौती के बिना आमतौर पर वेतन आम आदमी के हाथ में आता ही नहीं है, सो, यह जान लेना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है कि किसी शख्स के लिए इनकम टैक्स, यानी आयकर की देनदारी कितनी है, और इनकम टैक्स के किस रिजीम, यानी किस टैक्स व्यवस्था में रहकर टैक्सपेयर, यानी करदाता को फायदा मिल सकता है।
वर्ष 2020 में बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने तत्कालीन कर व्यवस्था (Old Tax Regime) के साथ-साथ इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115 बीएसी के तहत नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) का ऐलान किया था, जिसके तहत इनकम टैक्स की दरें घटा दी गई थीं, लेकिन इस व्यवस्था का इस्तेमाल करने वालों के लिए विभिन्न धाराओं में मिलने वाली किसी भी छूट को खत्म कर दिया गया था।
जो नौकरीपेशा लोग बचत के आदी थे, और छूट हासिल किया करते थे, उन्हें पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उनके लिए पुरानी दरें ही लागू रहीं।
अब 1 फरवरी, 2023 को वार्षिक बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने उस नई कर व्यवस्था में भी बदलाव की घोषणा की है, जिसके तहत 7 लाख रुपये से कम आय वालों को इनकम टैक्स से पूरी तरह छूट मिल जाएगी, और आयकर की गणना के लिए तय की गई स्लैब एक बार फिर बदल डाली हैं।
अब पहले 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगले 3 लाख रुपये, यानी 3 लाख से 6 लाख रुपये तक की कमाई पर नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों को 5 फीसदी टैक्स देना होगा, 6 से 9 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स वसूला जाएगा, 9 से 12 लाख रुपये तक की आमदनी पर 15 फीसदी टैक्स लिया जाएगा, और 12 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स देना होगा।
15 लाख रुपये से ज़्यादा की आमदनी पर पहले की ही तरह 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा।
यह नई टैक्स व्यवस्था उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो बचत योजनाओं (लाइफ इंश्योरेंस पालिसी, पीपीएफ, एनएससी आदि) में निवेश नहीं करते या निवेश नहीं कर पाते हैं, जिन्होंने होम लोन नहीं लिया हुआ है, या जो किराये के घर में नहीं रहते, या मकान किराया भत्ते (HRA Rebate) पर छूट हासिल नहीं करते।
5 लाख रुपये तक की आय पर किसी को कोई टैक्स नहीं देना होता है, लेकिन अब नई टैक्स व्यवस्था में इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत दी जाने वाली इस छूट के लिए भी आयसीमा 7 लाख रुपये कर दी गई है, और 7 लाख रुपये से ज़्यादा कमाने वालों को भी नई कर व्यवस्था से भारी फायदा होगा।
किसे कितना होगा इनकम टैक्स में फायदा…
उदाहरण से समझने के लिए नीचे दिए चार्ट को देखें।
यहां हमने 5 नौकरीपेशा लोगों के उदाहरण लिए हैं, जो क्रमशः 7,50,000 रुपये, 10,00,000 रुपये, 12,50,000 रुपये, 15,00,000 रुपये तथा 20,00,000 रुपये प्रतिवर्ष कमाते हैं।
चार्ट में अगले कॉलम में मानक कटौती का लाभ दिया गया है, जो सभी के लिए 50,000 रुपये है, और इसे नई कर व्यवस्था में भी शामिल कर दिया गया है।
इसके बाद तीसरे कॉलम में सभी पांच करदाताओं के वेतन से अंदाज़न प्रॉविडेंट फंड में जमा की जाने वाली रकम का ज़िक्र किया गया है, जिस पर सिर्फ पुरानी कर व्यवस्था में छूट मिला करती है।
इसके बाद के कॉलम में पुरानी कर व्यवस्था के मुताबिक करयोग्य आय, यानी टैक्सेबल इनकम का ज़िक्र किया गया है, और उससे अगला कॉलम बताता है कि कितना कमाने वाले शख्स को पुरानी कर व्यवस्था के तहत कितना आयकर (इसमें 4 फीसदी उपकर (सेस) भी शामिल है) देना होगा।
चार्ट के इसके बाद वाले कॉलम में नई कर व्यवस्था के तहत टैक्सेबल इनकम का ज़िक्र है, जिसमें पीएफ की कटौती शामिल नहीं की जाएगी, और सिर्फ मानक कटौती का लाभ करदाता को दिया जाएगा।
अगले कॉलम में पांचों टैक्सपेयरों का देय आयकर (Payable Income Tax) बताया गया है। चार्ट के अंतिम कॉलम में आपको बताया गया है कि पांचों करदाताओं को पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में नई कर व्यवस्था में आने पर कितना फायदा होगा।
अगर आपकी कमाई है 7.5 लाख रुपये।
पहले शख्स को नई टैक्स व्यवस्था में सिर्फ मानक कटौती का लाभ दिया जाएगा, जिसके चलते उसकी करयोग्य आय 7,00,000 रुपये हो जाएगी, और नए नियम के तहत वह इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिलने वाली छूट का हकदार होगा, और उसे शून्य आयकर चुकाना होगा, यानी पुरानी टैक्स व्यवस्था में देय आयकर के मुकाबले उसे 49,140 रुपये का फायदा होगा।
अगर आप कमाते हैं 10 लाख रुपये।
10 लाख रुपये प्रतिवर्ष कमाने वाले शख्स को मानक कटौती और पीएफ में दी गई राशि की बदौलत पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 99,320 रुपये इनकम टैक्स के रूप में चुकाने होंगे, जबकि नई कर व्यवस्था में उसी शख्स को उसी आय पर सिर्फ 54,600 रुपये इनकम टैक्स देना होगा, यानी उसे 44,720 रुपये का लाभ होगा।
यदि आय है 12.5 लाख रुपये सालाना।
जिस शख्स की वार्षिक आय 12,50,000 रुपये है, उसे पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 1,65,750 रुपये इनकम टैक्स देना होगा, जबकि नई टैक्स व्यवस्था में उसकी टैक्स देनदारी 93,600 रुपये ही रह जाएगी, यानी उसे 72,150 रुपये का लाभ होगा।
यदि आप कमाते हैं 15 लाख रुपये।
15 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को नई कर व्यवस्था में सिर्फ 1,45,600 रुपये चुकाने होंगे, जबकि पुरानी कर व्यवस्था में बने रहने पर उसे इनकम टैक्स के तौर पर 2,41,020 रुपये देने पड़ते, सो, इस शख्स का फायदा 95,420 रुपये है।
https://www.jiosaavn.com/embed/playlist/110858205 अगर सालाना आमदनी है 20 लाख रुपये।
जो शख्स हर साल 20 लाख रुपये कमाता है, और पुरानी टैक्स व्यवस्था में बना रहता है, तो उसे 3,91,560 रुपये आयकर चुकाना होगा, जब यही शख्स जब नई कर व्यवस्था में स्विच कर लेगा, तो उसकी इनकम टैक्स देनदारी 2,96,400 रह जाएगी, यानी सालाना 20,00,000 रुपये कमाने वाले शख्स को भी एक साल में 95,160 रुपये की बचत होगी।