तुर्की-सीरिया में आए भयंकर भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 21,000 को पार कर गई है।
तुर्की के उप राष्ट्रपति फुआत ओकटे के अनुसार, तुर्की में कम से कम 17,674 लोग मारे गए हैं, जबकि सीरिया में कम से कम 3,377 लोग मारे गए हैं।
इस बीच, विश्व बैंक ने राहत और बचाव कार्य के लिए सहायता के तौर पर तुर्की को 1.78 अरब डॉलर देने का वादा किया है।
चार दिन पहले तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के बाद सैकड़ों हजारों लोगों को ठंड, भूख और निराशा ने बेघर कर दिया है।
कड़ाके की ठंड ने भूकंप पीड़ितों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। भय, भूख से परेशान भूकंप प्रभावित बेघर लोगों को कंपकपाती ठंड का सामना करना पड़ रहा है।
हजारों बच्चे और बूढ़े कंपकपाती ठंड में गर्म कपड़े, भोजन और दवा की आस लगाए बैठे हैं। इससे राहत कार्य भी प्रभावित हुआ है।
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम स्थित चिल्ड्रन्स चैरिटी का कहना है कि उसने क्षेत्र में आपातकालीन भोजन राशन और टेंट उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।
मशहूर इंटरनेशनल एनजीओ सेव द चिल्ड्रेन सीरिया के एडवोकेसी, मीडिया और संचार निदेशक कैथरीन अकिलिस ने एक बयान में कहा, “उत्तर पश्चिमी सीरिया में स्थिति बहुत विकट है। परिवार के सदस्यों को खोने से लेकर बेघर होने और भोजन एवं साफ पानी की कमी तक इस आपदा ने हर एक बच्चे को प्रभावित किया है।”
बचावकर्मियों ने गुरुवार को ढही इमारतों के नीचे से और लोगों को जिंदा निकाला,जिनके बचने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई थी।
सोमवार को आया भूकंप एक दशक से भी अधिक समय में दुनिया भर में आए सबसे घातक भूकंपों में से एक है। इसकी विभीषिका बढ़ती ही जा रही है।
तुर्की और सीरिया में मौत के आंकड़ों ने जापान के फुकुशिमा में 2011 में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या को पार कर लिया है।
उस भूकंप से सूनामी आई थी, जिसमें 18,400 से अधिक लोग मारे गए थे। 2015 में नेपाल में भी 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 8,800 से अधिक लोग मारे गए थे।