भिलाई इस्पात संयंत्र की लगभग 465 एकड़ जमीन अवैध कब्जे में है।
इसमें शहर के विभिन्न हिस्से व आसपास के ग्रामीण अंचल सहित राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे अधिग्रहीत की गई बेशकीमती जमीन भी शामिल हैं।
हाल-फिलहाल नहीं बल्कि 25-30 वर्षों से लोग कब्जा जमाए हुए हैं। कहीं उद्योग चल रहे हैं तो कहीं ईट भट्ठे।
कहीं आलीशान फॉर्म हाउस बनाकर खेती की जा रही तो कहीं तालाब बनाकर मछली पालन। नेवई, मरोदा और रूआबांधा में तो बीएसपी की जमीन पर पूरा शहर ही बस गया है।
अब इस्पात मंत्रालय बीएसपी से एक-एक इंच जमीन का हिसाब मांग रहा है। प्रबंधन को साप्ताहिक रिपोर्ट भेजना पड़ रही है, तब बेदखली की कार्रवाई की जा रही है।
डेढ़ साल में प्रबंधन 35 एकड़ जमीन और 700 आवास मुक्त करा पाया है।
400 छोटे-बड़े निर्माणों का ध्वस्त किया है। 250 डिक्री भी किया है।
गांवों में आज भी है बीएसपी की जमीन: उसके अलावा भी नंदिनी, अहिवारा, कुम्हारी, उतई, डुमरडीह, कुटेलाभाठा, जेवरा-सिरसा, चिखली, रवेलीडीह, मोहलाई, पतोरा, परेवाडीह, देवरझाल, चुनकट्टा, मुड़पार आदि में जमीन अधिग्रहित की थी।
जमीन को लोग हथियाते गए, प्रबंधन चैन की नींद सोता रहा
1. नेवई, मरोदा क्षेत्र में 363 एकड़ में पूरा शहर बीएसपी की जमीन पर बसा हुआ है। यहां रसूखदार होटल, ढाबे, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से लेकर सभी तरह के कारोबार बीएसपी की जमीन पर हो रहे ।
2. चिखली में नदी किनारे की जमीन पर आज भी एक रसूखदार कब्जा कर केले व पपीते की खेती कर रहा है। महमरा में तो एक बड़े उद्योगति ने आम का बगीचा ही बना लिया है। हाल ही में खाली करवाए हैं। 3. अहेरी और बिरेभाट स्थित 7 एकड़ जमीन पर कब्जेधारी फार्म हॉउस बनाकर वहां कई साल से धान, केला, पपीता और अन्य फसलों की खेती करता रहा। 60 करोड़ की जमीन को अभी वापस ले पाया।
4. नंदिनी माइंस की तकरीबन 3000 एकड़ जमीन का अब कोई माई-बाप नहीं है। लोग जहां मर्जी निर्माण कर ले रहे हैं। आवासों पर भी बेजा कब्जा है।
5. रायपुर नाका में लोग बीएसपी की जमीन को घेरकर डेयरी फॉर्म चला रहे हैं। यहां भी पूरी बस्ती बस गई है। खुर्सीपार, कैंप में भी बीएसपी की जमीन को लोग अपना समझने लगे हैं।
6. कुटेलाभाठा और जेवरा सिरसा में बीएसपी ने अपनी जमीन आईआईटी के लिए दी है। इससे पहले कुटेलाभाठा में बस्ती बस गई थी। सिरसा में दुर्ग नगर निगम ने अपना डॉग हाउस बना दिया था।
निगम को दी 270 में से मात्र 3 एकड़ ही खाली जमीन
भिलाई इस्पात संयंत्र ने रिसाली नगर निगम को 270 एकड़ जमीन हस्तांतरित किया है, लेकिन इसमें मात्र 2.90 एकड़ जमीन ही खाली है, वह भी इसिलए कि मुरुम खदान है और कचरे भरा है।
बाकी 267 एकड़ जमीन पर नेवई, मरोदा, स्टेशन मरोदा में लोगों का अवैध कब्जा है। कहीं पर भी जमीन खाली नहीं है। इस प्रकार की लापरवाही भी सामने आई है। बहरहाल केंद्र द्वारा रिपोर्ट मांगी जा रही है।
अब तक जवाबदेही तय नहीं दो बार रिमाइंडर भी भेजा
बीएसपी की जमीन सुरक्षित रखने के लिए नगर सेवाएं अंतर्गत अलग से लैंड सेक्शन है। बेदखली की कार्रवाई करने के लिए प्रवर्तन अनुभाग की टीम है।
बावजूद वर्षों से कब्जा होता रहा। मंत्रालय ने कब्जे के लिए जवाबदेही तय कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी करने कहा है।
दो बार रिमाइंडर भी भेज चुका है। अब तक नतीजा सिफर रहा है। गंभीरता से नहीं लिया गया है।