जनवरी में भी भिलाई इस्पात सयंत्र सहित सेल की विभिन्न इकाइयों ने अच्छा कारोबार किया।
जिसके कारण कंपनी इस महीने लक्ष्य के मुताबिक कैश कलेक्शन करने में कामयाब रही। लक्ष्य 10150 करोड़ कैश कलेक्शन का रखा गया था।
इसके मुकाबले कंपनी ने 10456.79 करोड़ का कैश कलेक्शन किया।
दूसरी तिमाही में करीब 300 करोड़ के घाटे के बाद सेल तीसरी तिमाही और उसके बाद चौथी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
प्रत्येक तिमाही में उसका कैश कलेक्शन 9 से 10 हजार करोड़ हो रहा है।
अंतिम तिमाही में मार्केट में उत्पादों की डिमांड को देखते हुए इस वर्ष भी पिछली बार की तरह रिकार्ड प्रॉफिट की उम्मीद जताई जाने लगी है।
एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष भी कंपनी का कैश कलेक्शन एक लाख करोड़ से अधिक होने का संभावना है।
बताया गया कि दूसरी तिमाही में भी घाटा इसलिए हुआ क्योंकि प्रबंधन ने आय को प्रोजेक्ट के खाते में दर्शा दिया अन्यथा उस अवधि में भी कंपनी को अच्छा प्रॉफिट होता।
विदेशी कोल के दाम में गिरावट का भी मिला फायदा बीते वर्ष अप्रैल महीने में विदेशी कोल के दाम 600 डालर टन तक पहुंच गया था।
वह वर्ष के अंत होते-होते घटने लगा। वर्तमान में विदेशी कोल के दाम घटकर आधा रह गया है। यानि प्रबंधन को अब उसके लिए 300 डालर प्रति टन का भुगतान करना पड़ रहा है।
सेल के विभिन्न संयंत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोयले में बड़ा हिस्सा विदेशी कोल का होता है। इनके दाम गिरने से इस्पात उत्पाद की लागत कम होने से प्रॉफिट बढ़ गया है।
जनवरी से 3 हजार प्रति टन दाम में बढ़ोतरी जनवरी के पहले तक सेल के उत्पाद करीब 67 हजार टन बिक रहा था। प्रबंधन ने जनवरी में इनके दामों में 3 हजार टन तक की वृद्धि कर दी।
यानि वर्तमान में सेल के उत्पाद 70 हजार टन तक बिक रहा है। यह कारण भी कंपनी के कैश कलेक्शन का टार्गेट हासिल करने में मददगार साबित हो रहा है।