तुर्की में सोमवार भोर से शुरू हुआ भूकंप का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
सुबह से शाम तक तीन भूकंप के जोरदार झटकों से अब तक करीब 2300 लोग यहां पर जान गंवा चुके हैं।
इसके अलावा दसियों हजार से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। वहीं, पूरे तुर्की में तबाही का मंजर आम है। तमाम शहर भूकंप से प्रभावित हुए हैं और कई घर तबाह हो गए हैं।
इतने बड़े पैमाने पर प्रलय के बाद अब भी सीरिया का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। विशेषज्ञों ने भूकंप के बाद बड़े पैमाने पर आफ्टरशॉक की आशंका जताई है।
यही आफ्टरशॉक तुर्की की परेशानी का सबब बन सकते हैं।
अब तक तीन बड़े झटके
तुर्की में पहला भूकंप का झटका सोमवार भोर में आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 की आंकी गई थी। इसके बाद दूसरा झटका 6.6 और तीसरा झटका 6 प्वॉइंट का आया था।
इसके अलावा छोटे-मोटे कुल मिलाकर 20 से ज्यादा झटके तुर्की को लग चुके हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह झटके तुर्की की मुसीबत की जड़ हैं।
असल में भूकंप के बड़े झटकों के चलते यहां की तमाम बिल्डिंगें कमजोर पड़ चुकी हैं। यही वजह रही है कि भूकंप के पहले झटके में जो बिल्डिंग्स बची रह गई थीं, दूसरा झटका बर्दाश्त नहीं कर पाईं।
बड़ी हो जाएगी तबाही
विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप के तीन भारी झटकों और तमाम आफ्टरशॉक के बाद यहां की तमाम बिल्डिंग्स काफी कमजोर हो चुकी हैं।
ऐसे में इनकी झमता बहुत ज्यादा कमजोर हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब अगर एक और भी तगड़ा झटका आया तो तुर्की और यहां के लोगों का दर्द कई गुना बढ़ जाएगा।
ऐसा होने पर न सिर्फ जान-माल की तबाही होगी, बल्कि कई इंफ्रास्ट्रक्चर भी बर्बाद हो जाएंगे। ऐसे में बचाव अभियान पर भी असर पड़ने का खतरा रहेगा।
ऐसा है अभी का हाल
तुर्की में लोग भूकंप प्रभावित इलाकों को छोड़कर बाहर जाना चाहते हैं। इसकी वजह से ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई है।
इसके चलते आपात टीम को घटनस्थलों पर पहुंचने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों ने लोगों से सड़कों पर नहीं आने की अपील की है।
इलाके की मस्जिदों को उन लोगों के लिए खोल दिया गया है जिनके घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं क्योंकि इलाके में तापमान शून्य के करीब है।
भूकंप की वजह से गैजियांतेप की पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक कैसल को नुकसान पहुंचा है। किले की दीवार और निगरानी स्तंभों को भारी नुकसान पहुंचा है।