सैयद जावेद हुसैन, (सह संपादक), छत्तीसगढ़:
धमतरी/कुरुद- हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने मुबारक में तीन दिवसीय उर्स मेला का आयोजन 7 फरवरी से किया जा रहा है, जिसके लिए जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है, उर्स पाक कमेटी की ओर से तैयारी को अंतिम रूप दे दिया गया है। मौके पर तकरीर, कव्वाली, लंगर समेत विविध कार्यक्रम किए जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि धमतरी जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर कुरुद ब्लाक है, यहां छत्तीसगढ़ का प्रमुख धार्मिक केन्द्र हजरत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना मुबारक है। यहां से विभिन्न संप्रदाय के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
ज़ायरिनों का मानना है कि यहां सच्चे दिल से यदि दुआ मांगी जाए, तो वह जरूर पूरी होती है। और तो और भूत, प्रेत, बलाओं और परेशानियों से भी लोगों को मुक्ति मिलती है।
शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा विभिन्न प्रदेशों से यहां आकर लोग अपनी अकीदत के फूल चढ़ाते हैं।
आस्ताने के खादिम सैय्यद हसन अली उर्फ बब्बू भाई ने बताया कि इस साल भी तीन दिवसीय उर्स मेला का आयोजन आगामी 7 से 10 फरवरी तक किया गया है।
इस कड़ी में 7 फरवरी को हजरत मामू हम्ज़ा शहीद रहमतुल्लाह अलैह का उर्स पाक होगा। 8 फरवरी को मां साहिबा रास्ती अम्मा और 10 फरवरी को मां साहिबा दादी अम्मा का उर्स पाक मनाया जाएगा।
इस मौके पर तकरीर, कव्वाली और मटका पार्टी का प्रोग्राम होगा। ज़ायरिनों के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई है।
उन्होंने हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह के अकीदतमंदों से उक्त सभी प्रोग्राम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर लाभ उठाने के लिए कहा है।
उर्स मेला की सभी तैयारियां पूरी, ज़ायरीनों की आमद शुरू…
उर्सपाक कमेटी के सदर मोहम्मद वकील अशरफी ने बताया कि हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना सांप्रदायिक सौहार्द्रता का प्रतीक है।
उर्स पाक में सभी वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, यही वजह है कि सांप्रदायिक सद्भावना को और ज्यादा मजबूती मिल रही है।
उन्होंने बताया कि उर्स पाक को सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। उर्स में शामिल होने जायरिनों का आना भी शुरू हो गया है।
… और ज़िंदगी संवर गई।
हज़रत सैय्यद अली मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखने वाले सरदार करतार सिंह, ठाकुर ब्रजेश सिंह, सुखचैन जैन, कादर भाई, मनोहर सिन्हा का कहना है कि यहां आकर हाज़री देने से उन्हें काफी सुकून मिलता है।
बाबा की दुआओं से ही आज उनका परिवार खुशहाल ज़िंदगी जी रहा है।
महिला मरियम बाई, शकीना, मीना बाई, लता चौहान, दीप्ति अग्रवाल का कहना है कि जो बड़े सूफी संत होते हैं, वो लोगों के दिल की भावनाओं को समझते हैं। यह उनकी खुशनसीबी है कि दातार के करम से उनकी ज़िंदगी भी संवर गई।