दुर्ग के धमधा ब्लॉक के ठेंगाभाठ गांव में तीन दिन पहले एक घर में एक साथ 55 भेड़ों की मौत के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
यहां दुर्ग से पशु चिकित्सकों की टीम भी पहुंची, भेड़ों का पोस्टमार्टम करके उन्हें दफनाया गया। डॉक्टर्स से जब मौत का कारण पूछा गया तो कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं।
उनका कहना है कि सैंपल रायपुर भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। इधर गांव के लोग काफी दहशत में हैं।
130 भेंड़ में 55 की मौत
जानकारी के मुताबिक ठेगाभाठ गांव निवासी रतन धनकर ने अपने घर में 130 भेड़ पाले थे। सभी भेड़ों को खपरैल घर के नीचे बांध के रखा गया था।
31 जनवरी की सुबह घर वालों ने देखा कि इसमें से 55 भेड़ मरी हुई पड़ी हैं। इसके बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया।
उन्होंने देखा कि करीब 5-6 भेड़ों के गले में चोट के निशान हैं, बाकी भेड़ को कोई चोट नहीं लगी थी। इसके बाद भी वो मरी हुई पड़ी थीं।
गांव वालों ने इसकी शिकायत धमधा थाने में की। इसके बाद आनन-फानन पुलिस गांव पहुंची। और दुर्ग से पशु चिकित्सकों की टीम को बुलाया गया।
उनके द्वारा सभी भेड़ों का सैंपल लिया गया और कुछ का पोस्टमार्टम किया गया।
दुर्ग की असिस्टेंट वेटनरी डायरेक्ट डॉ. अर्चना का कहना है कि उन्होंने सैंपल को रायपुर भेजा है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारण का पता चल पाएगा।
सभी भेड़ों को गांव के बाहर दफनाया गया
गांव के निवासी चंद्रभान सिंह ठाकुर का कहना है कि जैसे ही उन्हें पता चला कि रतन धनकर के घर 55 भेड़ एक साथ मर गई हैं तो वो लोग वहां पहुंचे।
वहां का नाजारा काफी चौकाने वाला था। शिकायत के बाद पशु चिकित्सकों की टीम आई। पुलिस भी जांच करने पहुंची।
इसके बाद तीन चार भेड़ का पोस्टमार्टम किया गया। उसके सैंपल कलेक्ट किए गए। इसके बाद गांव के बाहर जेसीबी की मदद से बड़ा सा गड्ढा करके सभी भेड़ों को उसमें दफना दिया गया।
जंगली जानवर की बात को नकार रहे ग्रामीण
रतन धनकर के रिश्तेदार मदन साटकर व अन्य ग्रमीणों से बात की गई कि गांव में लकड़बग्घा भी देखा गया था। कहीं उसके काटने से तो भेड़ों की मौत नहीं हुई।
इस बात को ग्रमीण सिरे से नकार रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जंगली जानवर काटने से मौत होती तो भेड़ों को कई जगह काटने के निशान होते। मात्र 6-7 भेड़ को एक ही जगह गर्दन पर चोट है। बाकी की भेड़ों को एक खरोंच तक नहीं है, उनकी भी मौत हुई है।
लकड़बग्घा इतनी सारी भेड़ों को एक साथ कैसे मार सकता है। गांव वालों का कहना है कि ये किसी आदमी की हरकत है।
जिसने भेड़ों को मारा है और कुछ भेड़ को घायल कर दूसरा रूप देने की कोशिश की है।
चंद्रभान सिंह ठाकुर और मदन साटकर का कहना है कि एक भेड़ की कीमत कम से कम 10-15 हजार रुपए है।
रतन धनकर गरीब परिवार से हैं। उसकी एक साथ 55 भेड़ मरी हैं। उसे लाखों का नुकसान हुआ है।
सरकार को चाहिए कि उचित मुआवजा दे, जिससे उसका घाटा पूरा हो और वो आगे का जीवन सही तरीके से जी सके।
पशु चिकित्सकों ने कुछ बोलने से किया मना
गांव ठेंगाभाट की पशु मित्र भारती साहू का कहना है कि जिस तरह से भेड़ों की मौत हुई है वो जानवर के काटने से नहीं हुई है।
दुर्ग से कई डॉक्टरों की टीम दो बार आ चुकी है। उन्होंने पोस्टमार्टम भी किया है। जैसे ही पीएम रिपोर्ट आएगी मौत का कारण पता चल जाएग।
एक चिकित्सक कर रहा घायल भेड़ों की मॉनिटरिंग
दुर्ग के वेटनरी असिस्टेंट सर्जन डीडी झा का कहना है कि भेड़ों की मौत के मामले की सूचना मिलते ही टीम वहां पहुंची थी।
वहां 51 भेंड़ मरी हुई पड़ी थीं और तीन से चार भेड़ घायल थीं। घायल भेड़ों का इलाज किया गया। वहां के पशु चिकित्सक को उनकी लगातार मॉनिटिरिंग करने को कहा गया है।