महिला सशक्तिकरण सिर्फ सामाजिक न्याय का मुद्दा नहीं है बल्कि यह आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है : राष्ट्रपति मुर्मू
15 राज्यों में छत्तीसगढ़ को मिला प्रथम पंक्ति में स्थान
भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय महिला आयोग के स्थापना दिवस समारोह की शोभा बढ़ाई
रायपुर, 01 फरवरी 2023। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज (31 जनवरी, 2023) नई दिल्ली में राष्ट्रीय महिला आयोग के स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना एक मजबूत और स्वस्थ समाज की कल्पना करना संभव नहीं है। हमें मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाने की दिशा में काम करना है जहां सभी महिलाएं सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में पूरी तरह से भाग ले सकें और महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। महिला सशक्तिकरण न केवल सामाजिक न्याय का मुद्दा है बल्कि यह आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी हमारे देश के समग्र विकास में एक बड़ी बाधा है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अब पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। महिलाओं की अधिक सक्रिय भूमिका इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।
लैंगिक भेदभाव के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज भी देश के कई हिस्सों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है। कन्या भ्रूण हत्या के दु:खद उदाहरण देश के सुशिक्षित भागों में भी देखे जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस स्थिति को बदलने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं बल्कि पूरे समाज की है। उन्होंने कहा कि लैंगिक न्याय सुनिश्चित करते हुए हमें अपने विकास को न्यायसंगत बनाना होगा। हमारा विकास सही अर्थों में विकास तभी कहलाएगा जब महिलाओं की स्थिति पुरुषों के बराबर होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक सवाल उठता है कि केवल महिलाओं के लिए अलग आयोग बनाने की जरूरत क्यों पड़ी। इसका उत्तर है – हम देख रहे हैं कि हमारी बहन-बेटियाँ अंतरिक्ष में उड़ रही हैं, सशस्त्र बलों में नेतृत्व दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं और कार्यस्थल पर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग का मिशन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार से उत्पन्न होने वाली विशिष्ट समस्याओं का समाधान करना और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि देश की आधी आबादी के लिए अलग आयोग बनाने की जरूरत बताती है कि महिलाओं को अभी तक उनका उचित सम्मान और अधिकार नहीं मिल पाया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार करके ही देश समग्र प्रगति करने में सक्षम होगा।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रीय महिला आयोग अपने निरंतर प्रयासों के माध्यम से लैंगिक समानता और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी महिलाओं से सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने और दूसरों को भी जागरूक करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी से राष्ट्रीय महिला यात्रा आयोग की पुस्तक ‘सशक्त नारी, सशक्त भारत’ की पहली प्रति प्राप्त की।
राष्ट्रीय महिला आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर 15 राज्यों से आये महिला आयोग की अध्यक्षों की सूची में छत्तीसगढ़ को प्रथम पंक्ति में रखा गया है। वह इसलिए सम्भव हुआ कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं को मिल रही त्वरित न्याय और कानूनी जागरूकता के चलाये जा रहे मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ के कारण यह गौरवशाली सौभाग्य प्राप्त हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने जानकारी दी है।