केरल फिल्म संस्थान (Kerala Film Institute) में जाति विवाद (caste dispute) का मामला थमने की बजाय गहराता जा रहा है।
के. आर. नारायणन फिल्म संस्थान के निदेशक के इस्तीफे के बाद अब चेयरमैन अडूर गोपालकृष्णन (Adoor Gopalakrishnan) ने भी बड़ा कदम उठाया है।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित संस्थान के चेयरमैन गोपालकृष्णन ने भी इस्तीफा दे दिया है और निदेशक शंकर मोहन (Shankar Mohan) के समर्थन में आ गए हैं।
प्रख्यात फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन ने मंगलवार को के ।आर। नारायणन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विजुअल साइंस एंड आर्टस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने यह कदम संस्थान के निदेशक शंकर मोहन (Shankar Mohan) पर कुछ छात्रों और कर्मियों द्वारा जातिगत भेदभाव (caste discrimination) का आरोप लगाए जाने के बाद इस्तीफा (Adoor Gopalakrishnan Resignation) देने के कुछ दिन बाद उठाया है।
उन्होंने इस मामले को संस्थान के एक पीआरओ स्टाफ की ओर से साजिश बताया है। और कहा कि वहां पर किसी प्रकार का जातिगत भेदभाव नहीं हुआ।
मैं इसकी पुलिस जांच का अनुरोध करता हूं। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित गोपालकृष्णन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तीफे की घोषणा करने के साथ शंकर मोहन का समर्थन भी किया।
उन्होंने कहा कि मोहन सम्मानित और प्रतिष्ठित पेशेवर हैं जिन्होंने पिछले चार दशक के दौरान विभिन्न सरकारी फिल्म संस्थानों में काम किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि शंकर मोहन पिछले 3 साल से उनके साथ संस्थान को फर्श से अर्श तक ले जाने और देश के बेहतरीन फिल्म संस्थानों में से एक बनाने के लिए काम कर रहे थे।
वह ऐसे पेशेवर व्यक्ति थे जिन्हें हम ने आमंत्रित किया था और इसके बाद उन्हें आधारहीन, झूठे और मानहानि वाले आरोप लगाकर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।
फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित प्राथमिक जांच समिति के नतीजों पर भी सवाल उठाया है।
इसके बाद उनके आग्रह पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से इस मामले की जांच कराने को आयोग भी गठित किया था।
चेयरमैन गोपालकृष्णन ने यह भी दावा किया कि कमेटी ने कभी भी उन्हें या मोहन को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।
उन्होंने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि आयोग ने भी इस मसले पर उचित जांच नहीं की है।