पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद अब जिले में होने वाले सड़क हादसों की जांच यातायात के चार नए थानों में होगी।
जिले के 23 थानों और 6 पुलिस चौकियों को ट्रैफिक के चार थानों से जोड़ दिया गया है। ट्रैफिक के चार जोन कार्यालय को अब ट्रैफिक थानों में तब्दील कर दिया गया है। इसके निर्देश जारी कर दिए गए है। नए यातायात थानों में ट्रैफिक जोन दुर्ग, आकाशगंगा, सिविक सेंटर और पुरानी भिलाई चरोदा को शामिल किया गया है।
अस्थाई सेटअप के जरिए बीते करीब एक साल से चारों जोन संचालित थे। नए आदेश के बाद ये चारों जोन थानों में तब्दील हो गए हैं। नए सिरे से इन चारों थानों में अब थानेदार से लेकर आरक्षकों की पोस्टिंग होगी। यातायात व्यवस्था के साथ ये चारों ट्रैफिक थानों को सड़क दुर्घटना की धारा 279,337,338 और 304 ए के तहत मामलों की जांच करना होगा। इन चारों थानों में जिले के बाकी थानों की सरहदों को जोड़ दिया गया है। जांच भी शुरू कर दी गई है।
सबसे ज्यादा सिविक सेंटर जोन में शामिल हुए पुलिस स्टेशन, जांच शुरू
नई व्यवस्था के तहत सिविक सेंटर जोन में भिलाई नगर, भट्ठी, नेवई, पाटन , रानीतराई, उतई और जामगांव आर थाने को शामिल किया गया है। इसी तरह दुर्ग जोन में मोहन नगर,पुलगांव,धमधा,बोर ी,अंडा,दुर्ग कोतवाली और पुलगांव को शामिल किया गया है। वहीं आकाश गंगा जोन में सुपेला, वैशाली नगर, जामुल, खुर्सीपार और छावनी थाने को जोड़ दिया गया है। पुरानी भिलाई जोन में पुरानी भिलाई थाना, कुम्हारी, अमलेश्वर और नंदिनी थानों के शामिल किया गया है। शहर के थाना क्षेत्र में होने वाले सड़क दुर्घटनाओं की जांच अब चारों यातायात थाने में होगी। नए ट्रैफिक थाने खुलने के साथ ही सड़क हादसों की जांच शुरू हो गई है। इससे हादसे नियंत्रित करने भी काम होंगे।
शहर में 900 दुर्घटनाएं, 800 घायल और 250 से ज्यादा मौतें भी हो चुकी
डीएसपी सतीष ठाकुर के मुताबिक शहर में औसतन 900 से ज्यादा दुर्घटनाएं होती है। इन हादसों में 800 से ज्यादा लोग घायल होते है। हादसों में 250 से ज्यादा लोगों की मौत होती है। वर्ष 2022 में दुर्घटनाओं में 301 लोगों की मौत हुई थी। ये आंकड़ा बीते चार साल की तुलना में सबसे ज्यादा है। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने चारों जोन को थाने में तब्दील होना बड़ी चुनौती होगी। थाना बनने के बाद एफआईआर,विवेचना,चालान बनाने के साथ शहर में हादसों को रोकने के लिए जागरुकता और सुचारू यातायात व्यवस्था रखना पर्याप्त बल होने पर ही संभव होगा। लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों को देखते हुए जिला पुलिस ने यह नया प्रयोग शुरू किया है। ताकि हादसे नियंत्रित हो सके।