बस्तर में हिंसा की पड़ताल करने पहुंची फैक्ट फाइंडिंग टीम, बताया- असुरक्षित महसूस कर रहे आदिवासी, महिलाएं डरी…
रायपुर। धर्मांतरण के मुद्दे पर हुई हिंसा की जांच करने सीपीआई (एम) और आदिवासी अधिकार मंच की फैक्ट फाइंडिग टीम ने बस्तर का दौरा किया. टीम ने पाया कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं, खासकर महिलाओं में भय का माहौल बना हुआ है.
फैक्ट फाइंडिग टीम की सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता वंृदा करात ने रायपुर में मीडिया से चर्चा में कहा कि घटना में शामिल लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत है,
वीडियो एविडेन्स है, मामला कोर्ट तक भी पहुँच गया है. हमने मुद्दे पर मुख्यमंत्री से कार्रवाई की माँग की है. पूरे घटनाक्रम के पीछे भाजपा के लोगों का हाथ बताया है. छत्तीसगढ़ में जो मुद्दा नहीं है, उसे चुनाव के मद्देनजर मुद्दा बनाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि पिछले 3 दिनों में बस्तर के नार्थ इलाके में आदिवासी संगठन, जिला प्रशासन के अधिकारी और कई विक्टिम्स सहित 100 से अधिक लोगों के साथ बैठक किए है. जांच में सामने आए तथ्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का एक भी कैबिनेट मंत्री घटना की जानकारी लेने मौके पर नहीं पहुँचे थे.
वंृदा करात ने कहा कि बस्तर की स्थिति बहुत बुरी हो चुकी है. एक शव को जमीन पर गाड़ने नहीं दिया जा रहा है. ऐसी घटनाएं तो पूरे देशभर में नहीं होती है. प्रदेश में आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण जैसा कोई मुद्दा ही नहीं दिख रहा है, इसे सिर्फ राजनैतिक एजेंडा बनाकर भाजपा नुकसान पहुंचा रही है.
करात ने कहा कि जन जातीय सुरक्षा समिति में बीजेपी के नेता शामिल है, इस घटनाक्रम में पूर्व विधायक का भी नाम सामने आया है. पूरे घटनाक्रम की जाँच में पाया कि राजनैतिक लाभ के लिए ऐसी स्थिति बना रहे हैं. इस पूरे घटना के कई और अपराधी अभी बाहर है, जिसके चलते वहाँ डर का माहौल बना हुआ है.
इसके साथ वरिष्ठ वाम नेता ने आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से एक भी मुआवजा का पैसा नही पहुँचा है. नुकसान की कोई गणना नहीं की गई है. सरकार ने अपने दायित्व का निर्वहन अब तक नहीं किया है. हमें उम्मीद है, सरकार इस पर निर्णय लेते हुए घटना के जिम्मेदारों को तत्काल कार्रवाई करेगी.