असम के विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं लेकिन बीजेपी मुस्लिम आबादी तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
जम्मू-कश्मीर के बाद असम में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है।
मुसलमानों की आबादी की बात करें तो ये असम की 3.12 करोड़ आबादी का 34% हैं, जिनमें से 4% स्वदेशी असमिया मुसलमान हैं और शेष ज्यादातर बंगाली भाषी मुसलमान हैं।
भाजपा की राज्य यूनिट के अध्यक्ष भाबेश कलिता ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “हम मुसलमानों के पास जाएंगे। हमारी विकास योजना सबके लिए है और हम इसमें कोई अंतर नहीं करते।”
पीएम की सलाह के बाद बदले तेवर
2021 के विधानसभा चुनावों में कई भाजपा नेताओं ने कहा था कि उन्हें ‘मिया’ के वोट की आवश्यकता नहीं है।
मगर बीजेपी के कार्यकर्ताओं के तेवर बदले हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भाजपा कार्यकर्ताओं से हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुंचने का आह्वान किया है, भले ही वे पार्टी को वोट दें या नहीं।
बंगाली भाषी मुसलमानों को अक्सर ‘मिया’ मुसलमान कहा जाता है। असम में भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें जीतने का लक्ष्य बना रही है।
2019 में बीजेपी ने 10 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि असम गण परिषद (एजीपी) ने तीन सीटों पर और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
बीजेपी ने इन सीटों पर जमाया कब्जा
2019 के संसदीय चुनावों में भाजपा ने 2014 के सात सीटों के मुकाबले 2019 में अपनी संख्या बढ़ाकर नौ कर दी। पूरे पूर्वोत्तर भारत में पिछले संसदीय चुनाव में आठ सीटें जीतने वाली भाजपा 2019 में 14 सीटों पर जीत दर्ज की।
सहयोगी दलों के साथ, बीजेपी ने 25 सीटों में से 18 सीटें जीतीं, इस क्षेत्र में भगवा पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट एआईयूडीएफ ने एक सीट जीती, जबकि एक सीट निर्दलीयों ने जीती। एजीपी के हाथ कुछ नहीं लगा। जबकि कांग्रेस पार्टी ने तीन सीटों पर कब्जा किया।