वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट तैयार करने में जुटी हैं। इस बीच नौकरीपेशा लोग सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
इस बात की संभावना है कि सरकार इस बजट में इनकम टैक्स में कुछ राहत लेकर आ सकती है।
आपको बता दें कि बीते कुछ वर्षों में इस मामले में सुधार को लेकर कोई बड़ी घोषणा बजट भाषण में नहीं की गई है।
वेतनभोगी वर्ग देश में करदाताओं का सबसे बड़ा समूह माना जता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके लिए सरकार को कुछ राहत की घोषणा करनी चाहिए।
सरकार को नई आयकर व्यवस्था को आकर्षक बनाने या पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब को कम करने पर विचार करना चाहिए।
आपको बता दें कि पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत लागू 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने के लिए भी कई अपीलें की गई हैं।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि महामारी के बाद लोगों की आय में धीमी वृद्धि हुई है। महंगाई भी बढ़ी है। इसलिए वेतनभोगी व्यक्तियों की मांग उचित है।
लेकिन वे आगामी बजट में इस तरह की घोषणाओं को लेकर बहुत आशा नहीं रखते हैं।
कई अर्थशास्त्रियों ने पहले ही कहा है कि बिगड़ते वैश्विक आर्थिक माहौल और अगले वित्त वर्ष में जीडीपी में मंदी की संभावना को देखते हुए सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
डीबीएस में प्रबंध निदेशक तैमूर बेग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वह इस बजट में ज्यादातर खर्च बुनियादी ढांचे के विकास के इर्द-गिर्द हो सकता है।
इससे देश में रोजगार की संभावना बढ़ेगी और विकास की रफ्तार तेज होगी।
सरकार अगले वित्त वर्ष में वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच कम निर्यात को देखते हुए अपने राजकोषीय घाटे को कम करने पर भी ध्यान देगी।
रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से यह भी संकेत मिलता है कि सरकार बाहरी बाधाओं से खुद को सुरक्षित रखने के लिए अनावश्यक खर्च में कटौती करेगी।
भले ही 2023-2024 का यह बजट अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अहम होगा, लेकिनअधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अधिक खर्च से बचेंगी और एक संतुलित मार्ग अपनाएंगी।
ऐसे में आगामी बजट में टैक्स छूट की संभावना कम ही नजर आ रही है।