बेटियों के जन्म लेते ही उन्हें मारने के मामले में बदनाम सीमावर्ती बाड़मेर (Barmer) जिले में एक बार फिर मानवता को शर्मसार (Shamed) करने वाला मामला सामने आया है।
यहां के बालोतरा मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर एक नवजात मासूम बच्ची को मरने के लिए एक पैकेट बंदकर मरने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया गया।
लेकिन यहां एक बार फिर से ‘जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई’ की कहावत चरितार्थ हो गई। वहां से गुजर रहे चार दोस्तों को जब मासूम की रुलाई सुनाई दी तो वे झाड़ियों तक पहुंच गए।
उन्होंने पैकेट को खोला तो उसमें मासूम नवजात को देखकर वे दंग रह गए। उन्होंने मासूम को बालोतरा के राजकीय नाहटा चिकित्सालय में भर्ती करवाया है। वहां उसका इलाज चल रहा है।
यह घटना रविवार को सुबह कड़ाके की सर्दी के दौरान सामने आई। वहां सुबह-सुबह घूमने के लिए निकले 4 दोस्तों को रेलवे स्टेशन की पटरियों के पास किसी नवजात के रोने की आवाज सुनी तो उनके पैर ठिठक गए।
वे उस आवाज की दिशा में गए। यह आवाज बबूल की झाड़ियों के बीच से आ रही थी। इससे उनके कान खड़े हो गए थे।
चारों दोस्त झाड़ियों की ओर बढ़े। वहां कंटीली झाड़ियों और पौधों के बीच एक पैकेट पड़ा था। उसी में से नवजात के रोने की आवाज आ रही थी।
चारों दोस्तों ने बड़ी मुश्किल से उस पैकेट को खींचकर झाड़ियों से बाहर निकाला। उसमें शॉल और कुछ पुराने कपड़ों में लिपटी एक नवजात बच्ची मिली। इस पर वे उसे लेकर तत्काल इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे और वहां भर्ती कराया।
मासूम को अस्पताल लाने वाले ये चारों दोस्त मुकेश कुमार, मांगीलाल, प्रकाश कुमार और राजू कुमार बालोतरा के वार्ड संख्या 28 की सांसी कॉलोनी के रहने वाले हैं।
नवजात को बचाने वाले युवकों का कहना है कि हमारा सबसे पहला मकसद यही था कि किसी भी तरह से मासूम की जान बचनी चाहिए।