पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात पहुंच गए हैं। उनकी सऊदी अरब के रक्षामंत्री से भी मुलाकात हुई है।
वैसे देखा जाए तो पाकिस्तानी आर्मी चीफ का सऊदी अरब जाना कोई नई बात नहीं। आर्थिक मदद और सुरक्षा के मसले को लेकर पहले भी पाकिस्तानी सेना के मुखिया खाड़ी देशों का चक्कर लगाते रहे हैं।
फिलहाल पाकिस्तान जिस आर्थिक हालात से गुजर रहा है, उसमें जनरल आसिम मुनीर सऊदी अरब किसी गुहार के साथ पहुंचे हों तो इसमें कोई हैरानी नहीं।
वैसे पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने आर्मी चीफ के दौरे के लेकर जो बयान दिया है, उसके मुताबिक यह दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए की जा रही यात्रा है।
आर्थिक मदद की आस
बता दें पाकिस्तान के पूर्व के रिटायर्ड चीफ चाहे वह, अशफाक परवेज कियानी रहे हों या फिर कमर जावेद बाजवा। यह लोग भी अपनी जिम्मेदारी संभलाने के बाद सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे थे।
विशेषज्ञों के मुताबिक सऊदी अरब लंबे अरसे से पाकिस्तान का मददगार रहा है। वह न सिर्फ पाकिस्तान में निवेश करता है, बल्कि उसकी आर्थिक मदद भी करता रहता है।
सऊदी अरब के वित्तमंत्री तो सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की मदद की बात कह चुके हैं। बीते साल दिसंबर में सऊदी वित्तमंत्री मोहम्मद अल जदान ने कहा था कि उनका देश, पाकिस्तान की फाइनेंशियल हेल्प करना जारी रखेगा।
जरूरी भी, मजबूरी भी
देखा जाए तो यह एक तरह से पाकिस्तान की मजबूरी भी है कि वह खाड़ी देशों के साथ अपने संबंध बेहतर बनाकर रखे। संभवत: यही वजह है कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ वहां के दौरों पर जाते रहते हैं।
खासतौर पर सऊदी अरब की भूमिका पाकिस्तान के लिए बहुत ज्यादा मायने रखती है।
यही वजह है कि पाकिस्तान लगातार सऊदी अरब के साथ अपने सैन्य संबंधों को बेहतर बनाए रखने को प्राथमिकता पर रखता है।
चीन और सऊदी अरब से उम्मीदें
बता दें कि पाकिस्तान में जिस तरह के आर्थिक हालात हैं, उसमें उसको चीन और सऊदी अरब से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं।
पाकिस्तान इन दिनों जबर्दस्त फाइनेंशियल क्राइसिस के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ कुकिंग गैस पॉलिथिन में भरकर बेची जा रही है।
वहीं, दूसरे तरफ आटे की किल्लत भी हो रही है। पाकिस्तान रेलवे भी आर्थिक मोर्चे पर लगातार जूझ रहा है।
कुछ दिन पहले ही ऐसी खबरें आई थीं कि अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो पाकिस्तान में ट्रेनें ठप हो जाएंगी।