गुजरात विधानसभा चुनाव में इतिहास का अपना सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अब हार की वजह तलाश रही है।
खबर है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो गुजरात की हार की जानकारी जुटाएगी।
खास बात है कि पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चुनाव में पार्टी की हार के बाद यह उपाय करती रही हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि एक बार के अलावा कभी यह रिपोर्ट आलाकमान के साथ साझा नहीं की गई।
समिति से दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है और साथ ही सुधार के लिए सुझाव देने को भी कहा गया है।
पार्टी की तरफ से जारी बयान में कहा है कि खड़गे ने महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री नितिन राउत को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
इसके साथ बिहार के विधायक शकील अहमद खान और सांसद सप्तगिरि उलका को सदस्य बनाया है।
यह समिति दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सौंपेगी। पार्टी को गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 17 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा ने 156 सीटें हासिल करके ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
क्यों है दिलचस्प फैसला?
सोनिया गांधी भी इस तरह की समितियां गठित करती रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की रणनीति थी, जिसके जरिए नेताओं को हार के बाद अपनी नाराजगी और भड़ास निकालने का मौका दिया जाता था।
अगर एक बार को छोड़ दिया जाए, तो कभी भी इन समितियों की रिपोर्ट्स शीर्ष नेतृत्व के साथ साझा नहीं की गई और ना ही इनपर कांग्रेस वर्किंग कमेटी समेत किसी पार्टी मंच पर चर्चा की गई। रिपोर्ट के अनुसार, यह भी ज्ञात नहीं है कि इन समितियों की तरफ से सुझाए गए उपायों को कभी लागू किया गया या नहीं।
इन समितियों का इतिहास
साल 1999 में लोकसभा में हार के बाद सोनिया गांधी ने पहली बार समिति गठित की थी। 11 सदस्यीय समिति का नेतृत्व एके एंटनी कर रहे थे।
इसके अलावा मणि शंकर अय्यर, मोतीलाल वोरा, पीएम सईद और पीआर दासमुंशी सदस्य थे। कहा जाता है कि इन नेताओं ने संगठन स्तर पर बदलावों का सुझाव दिया था।
इसके बाद एके एंटनी को 2008, 2012 और 2014 की लोकसभा हार के बाद भी यह जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, तब से शीर्ष नेताओं समेत किसी ने भी रिपोर्ट्स के संबंध में कुछ नहीं सुना।
2021 में भी असम, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी की हार के बाद समिति बनाई गई थी। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2021 पैनल ने हर राज्य की अलग-अलग रिपोर्ट्स पेश की थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक नेता ने कहा, ‘पिछली रिपोर्ट्स की तरह, यह भी AICC के किसी डस्टबिन में पहुंच गई…।
ये समितियां अक्सर दिखावा होती हैं।’ खास बात है कि सोनिया गांधी ने पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की हार के बाद कोई समिति नहीं बनाई। कहा जाता है इसकी वजह गांधी परिवार की यूपी और पंजाब में बड़ी भूमिका थी।