सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज ‘नोटबंदी’ (Demonetisation) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी।
केंद्र सरकार ने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण का फैसला किया था।
न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ मामले में फैसला सुनाएगी, जो 4 जनवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
इससे पहले 7 दिसंबर, 2022 को, अदालत ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं।
अदालत ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनीं।
आरबीआई की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश कीं। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता पी चिदंबरम व श्याम दीवान पेश हुए।
चिदंबरम ने 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताते हुए, तर्क दिया था कि सरकार लीगल टेंडर से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, ये केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही किया जा सकता है।