प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की रफ्तार में इजाफा होने जा रहा है।
खबर है कि केंद्रीय जांच एजेंसी एक खास सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है, जिसकी मदद से अन्य एजेंसियों के डेटा को भी हासिल कर सकेगी।
इनमें सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (NATGRID), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) समेत कई एजेंसियों का नाम शामिल है।
खबर है कि ईडी CEDOS (कोर ईडी ऑपरेशन्स सिस्टम) से हासिल डेटा का इस्तेमाल वित्तीय अनियमितताओं की पहचान करने और जारी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए करेगी।
CEDOS की मदद से ईडी के जांच अधिकारी लेनदेन, लोगों की जानकारी, मामलों, दस्तावेज का पता ऑनलाइन लगा सकेंगे।
साथ ही यह दूसरी एजेंसियों को मिली खुफिया जानकारी और ईडी के जारी मामलों का डेटा भी संभाल कर रखेगा, ताकि एक डेटाबेस तैयार किया जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि इससे अलग-अलग प्रक्रियाओं में लगने वाला समय बच सकेगा और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच तेज हो सकेगी।
फिलहाल, देशभर में पहले ईडी के दफ्तर CCTNS/ICJS यानी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम/इंट्रोपेरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के जरिए जुड़े हुए हैं।
क्षमताएं बढ़ा रही है ईडी
जांच के मामले बढ़ने के साथ ही केंद्रीय एजेंसी अपनी क्षमताएं बढ़ाने की ओर काम कर रही है।
जूनियर वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने संसद को बताया था कि अप्रैल 2014 और मार्च 2022 के बीच ईडी ने 3555 पीएमएलए मामले दर्ज किए हैं। सबसे ज्यादा (1180) केस 2021-22 में दर्ज किए गए थे।
इसके अलावा ईडी ने अपने अधिकारियों की संख्या भी 2100 से बढ़ाकर 6000 करने की मांग की है।
एजेंसी ने सरकार के सामने सभी प्रदेशों की राजधानियों में एक जोनल ऑफिस की शुरुआत करने की बात कही है।
फिलहाल, ईडी के 21 जोनल और 18 सबजोनल दफ्तर हैं, जो पश्चिम, पूर्व, मध्य और उत्तर क्षेत्र में फैले हुए हैं।