विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत को ‘बातचीत की मेज’ पर लाने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल हथियार के तौर पर नहीं किया जा सकता।
साइप्रस में प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत करते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, “हम इसे कभी भी सामान्य नहीं करेंगे। हम कभी भी आतंकवाद को अनुमति नहीं देंगे कि वह हमें बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर कर सके। हम हर किसी के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहते हैं, लेकिन अच्छे पड़ोसी संबंध रखने का मतलब यह नहीं कि आतंकवाद से आंखें चुरा लें या इसको लेकर बहाने बनाएं या आतंकवाद को सही बताने लगें। हम बहुत स्पष्ट हैं।”
एस जयशंकर ने कहा, “दूसरा निश्चित रूप से हमारी समस्या बार्डर है। हमारे बार्डर पर चुनौतियां हैं। कोरोना काल में बार्डर पर चुनौतियां बढ़ गईं हैं।
आप सभी जानते हैं कि आज चीन के साथ हमारे संबंधों की स्थिति सामान्य नहीं है। वे सामान्य नहीं हैं, क्योंकि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को एकतरफा बदलने के किसी भी प्रयास के लिए सहमत नहीं होंगे।
इसलिए विदेश नीति के पक्ष में, राष्ट्रीय सुरक्षा के पक्ष में, मैं आपके साथ कूटनीति पर, विदेश नीति पर दृढ़ता की एक तस्वीर साझा कर सकता हूं, क्योंकि यह कुछ ऐसा है, जिस पर मैं बात कर सकता हूं।”
भारत से अपेक्षाओं के बारे में बात करते हुए, एस जयशंकर ने कहा कि बहुत सारी उम्मीदें हैं, क्योंकि नई दिल्ली को समस्याओं को हल करने वाले के रूप में देखा जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। साइप्रस के साथ भारत 3 समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
रक्षा संचालन सहयोग (defence operations cooperation),प्रवासन और गतिशीलता समझौता (migration and mobility agreement)और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन पर समझौते (agreement on International Solar Alliance) की बात चल रही है।
जयशंकर ने कहा, “अंत में, मुझे विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बारे में कुछ शब्द कहने चाहिए। विदेशों में रहने वाले भारतीय का मतलब, वह लोग जो विदेशों में भारतीय परिवारों का हिस्सा हैं और विदेशी नागरिक हैं। मोदी सरकार के आने के समय से ओसीएस कार्डधारक, मुझे लगता है कि हम बहुत स्पष्ट रहे हैं कि विदेशों में रहने वाले भारतीय मातृभूमि के लिए ताकत का एक बड़ा स्रोत हैं। मेरा मतलब है कि इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन सिर्फ यह कहना पर्याप्त नहीं है। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे और भारतीय बढ़ते जाते हैं। आज 30, 32, 33 मिलियन भारतीय, 3।3 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग, जो विदेशों में रहते हैं, शायद लगभग दो में से एक गैर-नागरिक और नागरिक हैं। अब, जब इतनी बड़ी संख्या में लोग विदेशों में रहते हैं और भारत को होने वाले लाभ हमें कई तरह से दिखाई दे रहे हैं, बड़ा मुद्दा जो उठता है, वह यह है कि भारत का दायित्व क्या है? भारत का दायित्व वास्तव में उनकी देखभाल करना है। उनकी सर्वोत्तम संभव क्षमता तक देखभाल करना है। विशेष रूप से सबसे कठिन परिस्थितियों में। तो आपने पिछले सात या आठ वर्षों में देखा है, जहां भी भारतीय कठिनाई में रहे हैं, भारत सरकार उनके साथ खड़ी रही है।”
एस जयशंकर ने विदेश मंत्रालय में अपने 40 वर्षों के अनुभव का उल्लेख किया और कहा कि दूतावासों, उच्चायोगों और मंत्रालयों व अधिकारियों के भारतीय समुदाय के बारे में सोचने के तरीके का यह वास्तव में पूर्ण परिवर्तन है।