भीषण नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर वृद्धि को तरजीह देने के लिए शहबाज शरीफ सरकार की आलोचना की है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने हाल ही में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने बार-बार बताया है कि जो देश कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर वृद्धि को प्राथमिकता देते हैं, वे वृद्धि को बरकरार नहीं रख पाते हैं।
‘डॉन न्यूज’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने फटकार लगाते हुए कहा है कि ऐसी स्थिति में देशों को बार-बार आर्थिक वृद्धि के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान इस समय गहरे नकदी संकट से जूझ रहा है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने वित्त वर्ष 2023 के लिए वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने से परहेज किया है।
इसके बावजूद वह वित्तीय और मूल्य स्थिरता लाने में विफल रही है। एसबीपी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 में वृद्धि दर तय लक्ष्य के मुकाबले कम होगी। इस तरह वृद्धि दर 3-4 फीसदी से कम रह सकती है।
वृद्धि में तेज गिरावट के कारण पहले ही व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों में भारी छंटनी हो चुकी है और माना जा रहा है कि छंटनी का एक और बड़ा दौर जल्द शुरू होगा।
कपड़ा मिलों, निर्यातकों और आयातकों ने साख पत्र के न खुलने पर गंभीर चिंता जताई है, जिसने व्यापार चक्र को पंगु बना दिया है।
सरकार द्वारा कीमतों पर ध्यान देने के बावजूद, पिछले पांच महीनों से मुद्रास्फीति 25 प्रतिशत के आसपास है, जिससे स्थिरता और वृद्धि की संभावनाएं बिगड़ रही हैं।