भारतीय सेना (Indian Army) के घुड़सवारों ने पटियाला इन्फैंट्री ब्रिगेड से पुराने सर्दियों के रेशम मार्ग गपशान से पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में सुल्तान चुस्कू तक यात्रा की।
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने अपने ब्रिगेड कमांडर के नेतृत्व में माइनस तापमान में सुपर हाई एल्टीट्यूड पर 21 घंटे में 56 किमी की यात्रा की।
नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के आमने-सामने आने के बाद सेना के जवानों ने यह यात्रा की है।
भारत-चीन झड़पों की पृष्ठभूमि में, गजराज कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से में तैनात सैनिकों के उच्च मनोबल की सराहना की।
भारतीय सेना के अधिकारियों के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल राणा यांग्त्से, तवांग सेक्टर में 16,000 फीट की ऊंचाई पर थे।
13 दिसंबर को, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को सूचित था किया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने और एकतरफा रूप से यथास्थिति बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सैनिकों के विरोध के कारण उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।
रक्षा मंत्री ने उच्च सदन को आश्वासन दिया कि “हमारी सेनाएं हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और यथास्थिति को बदलने के लिए किए गए किसी भी प्रयास को विफल करना जारी रखेंगी”।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए, केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास कर रही है।
‘प्रोजेक्ट वर्तक’ के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर रमन कुमार ने एएनआई को बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पश्चिमी असम और पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी सड़क नेटवर्क का विकास और रख-रखाव कर रहा है।
सेना के घुड़सवार पुराने शीतकालीन रेशम मार्ग से पूर्वी लद्दाख के गपशान से सुल्तान चुस्कू तक यात्रा कर रहे हैं।