टीए (ट्रेंड अप्रेंटिस) के नाम पर कोआपरेटिव सोसायटी बनाकर लाखों रुपए का गबन करने वाले 7 लोगों के खिलाफ भट्टी पुलिस ने ठगी का मामला दर्ज किया है।
इन आरोपियों ने 400 टीए से रकम जमा कराई। उसके बाद मात्र 22 लोगों के नाम से सोसायटी रजिस्टर्ड कराकर बीएसपी से ठेका लेते रहे। इस तरह इन 22 लोगों ने मिलकर 178 लोगों के साथ धोखा किया।
शिकायतकर्ता संतोष कुमार सिंह ने बताया कि अभिभाजित छत्तीसगढ़ के समय भिलाई स्टील प्लांट में एंप्लॉयमेंट के तहत अभ्यर्थियों का चयन होता था।
चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बीएसपी चयनित लड़कों को ट्रेनिंग देती थी। टेनिंग पाकर चयनित युवा टीए यानि ट्रेंड अप्रेंटिस बीएसपी का नियमित कर्मचारी बन जाता था।
2001 में बीएसपी के अधिकारी ने इस भर्ती प्रक्रिया में रोक लगा दिया। इसमें 200 टीए बेरोजगार हो गए। उन्होंने अपने हक के लिए आंदोलन किया।
ट्रेने रोकी। न्यायालय की शरण में गए। मामला बढ़ने पर बीएसपी ने सभी टीए को मिलाकर एक कॉपरेटिव सोसायटी बनाने की सलाह दी।
बीएसपी ने कहा कि सोसायटी बन जाने के बाद वो अपने यहां ठेके पर उन्हें काम देंगे। इसके बाद 400 लोगों ने अपनी बचत पूंजी जोड़कर संघ का प्रतिनिधित्व करने राजेश कुमार मिश्रा, प्रमोद कुमार पाण्डेय, मार्कण्डेयनाथ तिवारी, संजय उपाध्याय, भगवानदास, पवन कुमार यादव और शंभू सिंह को दिया। इन लोगों ने मिलकर बिना किसी को कुछ बताए मात्र 22 लोगों के नाम से साल 2006 में भिलाई प्रशिक्षु कल्याण समिति के नाम से कोआपरेटिव सोसायटी का पंजीयन करा दिया।
संतोष कुमार ने बताया कि रजिस्टर्ड संस्था के संचालन के लिए राजेश मिश्रा को प्रमुख बनाया गया। उन्हीं के पास प्रत्येक टीए ने 6-8 हजार रुपए समिति को विकसित करने के लिए जमा किए थे।
संस्था बन जाने के बाद बीएसपी से उन्हें काफी काम मिला और संस्था का टर्न ओवर करोडो़ं में पहुंच गया। इसी दौरान संतोष कुमार और उनके कुछ साथियों को संका हुई तो उन्होंने आरटीआई के तहत बीएसपी से जानकारी मांगी।
2020 में जानकारी मिलने पर पता चला कि संस्था का रजिस्ट्रेशन मात्र 22 लोगों के नाम पर है।
सेक्टर 2 निवासी संतोष कुमार सिंह व कुलदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने नवंबर 2022 में राजेश कुमार मिश्रा, प्रमोद कुमार पाण्डेय, मार्कण्डेयनाथ तिवारी, संजय उपाध्याय, भगवानदास, पवन कुमार यादव, शंभु सिंह सहित अन्य के खिलाफ भट्ठी थाने में लिखित शिकायत दी थी।
इसके बाद 160 अलग-अलग टीए ने थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दी। आईजी दुर्ग के निर्देशन में मामले की जांच हुई। आरोप सही पाए जाने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।