बीएसपी के टाउनशिप के आवासों पर राज्य सरकार, केंद्र सरकार समेत अन्य एजेंसियों के अधिकारियों और कर्मचारियों का अवैध कब्जा है।
वर्ष 1986 से लेकर 2022 के बीच ऐसे 742 बड़े बकायादार हैं, जिन्होंने मकान तो आवंटित करवा लिया, लेकिन उसका किराया जमा नहीं किया। ऐसे बड़े बकाएदारों का 23 करोड़ रुपए बकाया है।
धौंस और दबाव के कारण बीएसपी प्रबंधन इन बड़े बकाएदारों से पैसा वसूल नहीं कर पाता है। समय-समय पर विभाग और बकाएदारों से पत्राचार करता है, लेकिन लिखा-पढ़ी सिर्फ खानापूर्ति साबित होती है।
बड़े बकायादारों में रेलवे, बीएसएनएल, पोस्टल, राज्य सरकार के कई विभाग, सीएसईबी, पुलिस,जिला एक्साइज, इनकम टैक्स, कोऑपरेटिव सोसायटी, सीआईएसएफ और सेंट्रल एक्साइज के अधिकारियों के नाम से आवंटित मकान में रहने वाले अधिकारी शामिल हैं।
पुलिस विभाग में आरक्षक से लेकर बड़े अफसर शामिल हैं। कई अधिकारी तो रिटायर तक हो चुके हैं।
ज्यादातर अधिकारियों का दूसरे जिलों में ट्रांसफर हो चुका है। इसके बाद भी न तो मकान खाली किया और न ही किराया चुका रहे हैं।
अवैध मकानों पर कब्जा और किराया की राशि जमा करने को लेकर बुधवार को सेफी संगठन के पदाधिकारियों ने केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से मुलाकात की।
मंत्री ने बीएसपी से पूरी जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
बीएसपी जनसंपर्क विभाग के मुताबिक बकाया किराया वसूलने समय समय पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया जाता है।
केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री से मिले सेफी के पदाधिकारी।
थर्ड पार्टी आवंटित मकानों का आवंटन निरस्त करने की मांग।
सेल के अफसरों के संगठन सेफी के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्र से मुलाकात की।
मंत्री को बताया कि बीएसपी प्रबंधन ने सभी विभागों के अफसरों को थर्ड पार्टी प्रक्रिया के तहत मकान आवंटित किए है।
आवंटन के बाद उक्त मकानों पर अवैध कब्जा शुरु हो गया। इन कब्जा धारियों की वजह से बीएसपी के अधिकारी कर्मचारियों को बेहतर मकान उपलब्ध नहीं हो पा रहे है।
ऐसे में अवैध कब्जाधारियों से मकान को मुक्त कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही मकान का आवंटन भी निरस्त किया जाए।
अवैध कब्जा की वजह से बीएसपी के अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर है। इस वजह से 8-14 हजार तक का एचआरए का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2014 में एचआरए बंद कर देने की वजह से बीएसपी के अधिकारी प्राइवेट कॉलोनियों में रहने के लिए मजबूर हैं।
राज्य गठन से पहले से चालू है मकानों पर कब्जा का खेल
राज्य के गठन के बाद बीएसपी के बड़े आवासों को प्रशासनिक अधिकारियों,जनप्रतिनि धियों को जिनका कार्यक्षेत्र भिलाई-दुर्ग रहा, उन्हें आवंटित किया गया। लेकिन अधिकारियों के रिटायरमेंट, स्थानांतरण के पश्चात भी अधिकतर आवास उन्हीं के कब्जे में रह गये हैं।
वर्तमान में भिलाई टाउनशिप में छत्तीसगढ़ के अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के नाम से आवास आबंटित है।
जबकि उनकी पदस्थापना दुर्ग की बजाय दूसरे जिलों में है। अधिकारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी बीएसपी के मकानों पर अवैध रूप से कब्जा जमा कर बैठे हुए है।
नगर सेवा विभाग की अनेक कोशिशों के पश्चात भी भिलाई टाउनशिप के ये बड़े मकान प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारियों के कब्जे से वापस नहीं ले पाया है।
किराया नहीं जमा करते पुलिस अधिकारी और जवान:
बीएसपी अफसरों के मुताबिक सेक्टर एरिया में आरक्षक से लेकर बड़े अफसरों को मकान आवंटित किया गया है।
पुलिस के बड़े बड़े अधिकारियों का किराया ज्यादा बकाया है। दुर्ग जिले में एसपी के पद पर पदस्थ 1990 से लेकर 2015 के बीच रह चुके कई अधिकारियों के नाम से सेक्टर एरिया में बंगले आवंटित किए गए थे।
इनका किराया लाखों में शेष बचा हुआ है। इसी तरह आरक्षक से लेकर थानेदारों के नाम भी मकान आवंटित है।
कुछ ही सेक्टर के ज्यादातर मकानों पर रसूखदारों का कब्जा
बीएसपी के मकानों में कुछ ही सेक्टर के मकानों पर रसूखदारों का कब्जा है। बीएसपी के बड़े मकान जो सेक्टर 5, 8, 9, 10 में है, इन सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, पूर्व विधायकों के कब्जे में है।
इस कारण बहुत सारे बड़े आवास संयंत्र के अधिकारियों के पहुंच से बाहर हो गये हैं। इन काबिज आवासों पर वृहद रूप से अनधिकृत तरीके से निर्माण कार्य भी किया गया है।
जबकि बीएसपी अपने सेवानिवृत्त अधिकारियों से 6 माह के भीतर ही मकान खाली करवा लेता है। लेकिन यह नियम प्रशासनिक अधिकारियों और रसूखदारों पर लागू नहीं होता है।
थर्ड पार्टी से खाली कराए गए सभी आवासों को बीएसपी के अधिकारियों को ही आवंटित किया जाना चाहिए। 32 बंगला क्षेत्र में विधायक और सांसद निवास को चिन्हित किया जाए।
इसके बाद इन मकानों को खाली कराया जाए। सेफी चेयरमेन के अध्यक्ष नरेंद्र बंछोर को केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री ने बीएसपी अधिकारियों को बेहतर आवास दिलाने का आश्वासन दिया है।
बंछोर ने कहा कि यदि इस दिशा में पहल नहीं की गई वे आगे की रणनीति तय करेंगे।