पूर्वोत्तर का रण तैयार है।
2023 में यहां के चार राज्य (त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम) विधानसभा चुनाव के दौर से गुजरेंगे।
अब पश्चिमी राज्य गुजरात की प्रचंड जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर में भी बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश में है।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां पहुंचकर चुनावी बिगुल फूंक चुके हैं। एक बार चारों राज्यों के सियासी हाल को समझते हैं।
2023 में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में मार्च के आसपास चुनाव हो सकते हैं। जबकि, मिजोरम में साल के अंत तक जनता को सरकार चुनने का मौका मिलेगा।
2024 आम चुनाव के लिहाज से देखें, तो पूर्वोत्तर में 24 सीटें हैं और फिलहाल भाजपा के खाते में 14 हैं।
मेघालय
60 सीटों वाले मेघालय के चुनाव में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी NPP के अलावा भाजपा, कांग्रेस भी बड़ी भूमिका में नजर आते हैं।
इसके अलावा राज्य में सियासी विस्तार को कोशिशों में तृणमूल कांग्रेस भी जुटी हुई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ प्रदेश का दौरा कर चुकी हैं।
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत हासिल नहीं कर सकी। वहीं, महज 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा ने एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।
हालांकि, अब सियासी समीकरण बदल गए हैं और मुख्यमंत्री कोनराड सांगमा ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी 2023 का चुनाव अकेले ही लड़ेगी।
नगालैंड
खबरें हैं कि यहां भाजपा नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के 40 उम्मीदवारों को 2023 चुनाव में समर्थन देने की योजना बना रही है।
वहीं, पार्टी खुद 20 सीटों पर उतरने की तैयारी कर रही है। 2018 में यहां 12 सीटें जीतने वाली भाजपा अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश में है।
जुलाई में दोनों दलों की तरफ से साझा बयान जारी किया गया, ‘एलायंस ने नगालैंड को स्थिर सरकार दी है और चौतरफा विकास किया है।’
अक्टूबर में मुख्यमंत्री नीफियु रियो पू्वी क्षेत्र की तरफ से आ रही अलग राज्य की मांग का समर्थन कर चुके हैं। फिलहाल, केंद्रीय गृहमंत्रालय इस मामले पर विचार कर रहा है।
त्रिपुरा
यहां 2018 में भाजपा ने 35 सीटें जीतकर बहुमत हासिल की थी। जबकि, वाम दल महज 16 पर सिमय गए थे। यहां कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी। मई 2022 में यहां भाजपा ने बिप्लब देब की जगह मणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया।
कहा जा रहा है कि पार्टी ने साहा को सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए पद सौंपा था। हालांकि, खबर है कि वह भी पार्टी इकाई में जारी मतभेदों को दूर करने में परेशानी का सामना कर रहे हैं।
यहां भाजपा के सियासी साथी IPFT से रिश्ते तल्ख माने जा रहे हैं। साथ ही यह साफ नहीं हो सका है कि दोनों दल एकसाथ चुनाव लड़ेंगे या नहीं। अब यहां कांग्रेस और वाम दल के अलावा टीएमसी भी रास्ता तैयार करने में जुटी हुई है। इसके अलावा सत्तारूढ़ भाजपा को तिपरा मोथा से भी चुनौती मिल सकती है।
मिजोरम
2018 में 40 में से 26 सीटें जीतकर मिजो नेशनल फ्रंट सरकार में है। एक ओर जहां भाजपा और मिजो नेशनल फ्रंट अपनी सीटें बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी को एकजुट रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है। बीते चुनाव में कांग्रेस को केवल 5 सीटें ही मिली थी।
यहां भी होंगे चुनाव
पूर्वोत्तर के अलावा कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही संभावनाएं जताई जा रही हैं कि जम्मू और कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं।