युवक के अपाहिज हो जाने का इंतजार करते रहे धरती के भगवान ?
- फिर सामने आई मेडिकल कॉलेज जगदलपुर की बड़ी लापरवाही
- मेकाज के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते काटना पड़ा युवक का पैर
जगदलपुर :- डॉक्टर जीवन रक्षक होते हैं। इसलिए डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। मगर मेडिकल कॉलेज जगदलपुर के डॉक्टरों की लापरवाही ने एक युवक को हमेशा के लिए अपाहिज बना दिया। ऐसी लापरवाही यहां बार बार दोहराई जा रही है।
शहीद महेंद्र कर्मा शासकीय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल डिमरापाल जगदलपुर में 14 दिसम्बर को प्रातः 10 बजे बस्तर विकास खंड के पाथरी गांव निवासी 22 वर्षीय शंकर यादव दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया। उसका एक पैर बुरी तरह चोटिल हुआ था। शंकर को उसी दिन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों ने उसका प्राथमिक इलाज शुरू किया, लेकिन शंकर का पैर इस कदर जख़्मी था कि यहां मेडिकल कॉलेज में उसका इलाज संभव नहीं था। यह बात मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी अच्छे से जानते थे और उन्हें यह भी पता था कि अगर 24 घंटे के अंदर शंकर को रायपुर रेफर नहीं किया गया,
तो उसके पैर को बचाना संभव नहीं होगा। डॉक्टरों ने 24 घंटे बीत जाने के बाद अगले दिन यानि 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजे शंकर को रेफर किया। तब तक पैर का टूटा हुआ हिस्सा काला पड़ चुका था और समय भी 24 घंटे से ऊपर हो चुका था। वहीं जगदलपुर से रायपुर जाने में भी लगभग 5-6 घंटे लग जाते हैं।
डॉक्टरों के रेफर करने के बाद शंकर को रवाना किया गया और रात 9 बजे उसे रायपुर के वीवाय हॉस्पिटल पहुंचाया जा सका। वीवाय हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि 24 घंटे से पहले लाए होते,
तो पैर को बचाया जा सकता था। अब देर हो चुकी है, पैर को काटना ही पड़ेगा। आखिरकार शंकर यादव को अपना एक पैर खोना पड़ा। इस तरह शासकीय मेडिकल कॉलेज डिमरापाल जगदलपुर के डॉक्टरों की बड़ी एवं गंभीर लापरवाही ने एक युवक को हमेशा के लिए अपाहिज बना दिया। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल प्रबंधन की ऐसी लापरवाही गंभीर चिंता का विषय है।
कार्रवाई होगी भी या नहीं ?
शंकर के परिजन और आम नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जब यहां इलाज संभव नहीं था, तो डॉक्टरों ने शंकर को रायपुर रेफर करने में देरी क्यों की? उसे तत्काल क्यों रेफर नहीं किया गया ?
इस घोर लापरवाही के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों को सजा मिलेगी भी या नहीं ? सवाल बड़े हैं। फिलहाल शंकर का इलाज रायपुर के वीवाय अस्पताल में चल रहा है। उसका पैर तो वापस नही मिल सकता,
लेकिन उम्मीद है कि सरकार की आंखें जरूर खुलेंगी। ऐसी लापरवाही दोबारा न हो, किसी और शंकर को अपाहिज बनना न पड़े, इसके लिए अब राज्य सरकार व जिला प्रशासन से पीड़ित परिवार ने मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। शंकर के परिजनों ने दोषी डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने तथा मुआवजा दिए जाने की मांग की है।