AIIMS Bhopal : भोपाल. एम्स भोपाल के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंहके साथ एम्स, भोपाल मे “स्मृति उपवन” का शुभारंभ किया । “स्मृति उपवन” का प्रस्ताव एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह द्वारा दिया गया था और एम्स, भोपाल को एक स्थायी हरित परिसर के रूप में विकसित करने की उनकी प्रतिबद्धता के तहत ही संस्थान में वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है।
(डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि “स्मृति उपवन” संभावनाओं और स्थायी भविष्य का एक शक्तिशाली उदाहरण है और हम छायादार पेड़ों और हरी भरी झाड़ियों से घिरे एम्स, भोपाल परिसर को हरा-भरा बनाना चाहते हैं। एम्स भोपाल परिसर में पैदल रास्तों को भी नारंगी लौ की भांति तुरही फूलदार लताओं से आच्छादित किया जा रहा हैं।
अध्यक्ष, कार्यपालक निदेशक, संस्थान निकाय के सदस्य, उपनिदेशक (प्रशासन), डीन द्वारा ऐसे पौधों का वृक्षारोपण किया गया जिनका पारंपरिक औषधीय महत्व है और भारत में पारंपरिक उपचार के लिए लोकप्रिय है। अतिथियों ने अपने लगाए गए पौधे को एक नाम भी दिया ।
एम्स भोपाल ग्रीन कैंपस अभियान के तहत “स्मृति उपवन” में 10,000 से अधिक पेड़ लगाने की योजना है। प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने एक बेल का पेड़ लगाया और उसका नाम ‘शंभु’ रखा। बागवानी समिति की सदस्य डॉ अरनीत अरोड़ा, डॉ बबीता रघुवंशी, डॉ वैशाली वालके, डॉ संजीव और लिली पोद्दार ने भी वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया और पारंपरिक औषधीय पौधे एवं फलों के पेड़ लगाए।
कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने प्राकृतिक कंपोस्टिंग पर भी जोर दिया जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है तथा जलवायु परिवर्तन पर असर डालने के साथ जैव विविधता को भी तेजी से प्रभावित करता है। पेड़ों से गिरे हरे और भूरे पत्तों के कचरे और कैंटीन के अपशिष्ट खाने को कंपोस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और स्मृति उपवन के लिए जैविक खाद तैयार की जाएगी। प्राकृतिक खाद के लिए कम्पोस्ट गड्ढे बनाए गए हैं। संकाय सदस्य, छात्र और कर्मचारी भी वृक्षारोपण अभियान को लेकर उत्साहित हैं और जल्द ही एक और विशाल वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया जाएगा ।