जाने दुनिया को कहां से मिला साल में 10 के बजाय 12 महीने का अवधारणा? ‘हिंदू कैलेंडर’ की क्‍या रही भूमिका…

नया साल शुरू होने में अब सिर्फ 15 दिन रह गए हैं। हर साल की तरह इस साल भी 31 दिसंबर की रात जश्‍न मनाया जाएगा और 1 जनवरी को सब नए साल का स्‍वागत (New Year 2023) करेंगे।

लेकिन क्‍या कभी सोचा है कि नया साल 1 जनवरी से ही क्‍यों शुरू होता है? क्‍या हमेशा से साल में 364 या 365 दिन और 12 महीने ही होते थे? दुनिया को साल में 12 महीने देने में भारतीय हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) की क्‍या कोई भूमिका है? हिंदू, रोमन रिपब्लिकन और ग्रेगोरियन कैलेंडर कब-कब आए? आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब…

सबसे पहले बात करते हैं हिंदू कैलेंडर की। भारत में हिंदू कैलेंडर के जरिये तारीखों की व्‍यवस्‍था 1000 ईसा पूर्व से इस्‍तेमाल किया जा रहा है। 

इसका इस्‍तेमाल हिंदू धार्मिक वर्ष को तय करने के लिए किया जाता रहा है। ये 12 चंद्रमास पर आधारित होता है। हिंदू कैलेंडर में हमेशा से चंद्रवर्ष 354 दिन और सूर्यवर्ष 365 दिन का होता है। हर मास में 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं।

कई बार एक ही दिन में दो तिथियां पड़ जाती हैं। ऐसे में साल में दिनों की संख्‍या का संतुलन बनाने के लिए अधिमास या मलमास होता है। सनातन परंपरा के मुताबिक इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

हिंदू कैलेंडर ही है सबसे सटीक?
हिंदू कैलेंडर के बाद 738 ईसा पूर्व रोमन रिपब्लिकन कैलेंडर प्रचलन में आया। ये कैलेंडर रोम में चलन में था। इससे पहले 800 ईसा पूर्व ग्रीक लूनर कैलेंडर ग्रीस में चलन में आया था। 

इस कैलेंडर में 354 दिन का चंद्रवर्ष और 365 दिन का सूर्यवर्ष होने के कारण माना जाता है कि नई खगोलीय गणनाओं के बजाय इसे सीधे हिंदू कैलेंडर को उठाकर बना लिया गया था।

शुरुआती रोमन कैलेंडर में 10 महीने का साल होता था, जिसमें सिर्फ 304 दिन थे। इसमें 61 दिनों की अनेदखी की गई थी, जिससे सर्दियों के मौसम में अंतर हो जाता था।

महीनों के नाम मार्टिस, अप्रिलिस, माइस, जूनिस, क्विंटिलिस, सेक्‍सटिलिस, सेप्‍टेंबर, अक्‍टूबर, नवंबर और दिसंबर थे।

जूलियन कैलेंडर में साल के 445 दिन
काफी समय बाद रोम के शासक नुमा पॉम्‍पी ने कैलेंडर में बदलाव करते हुए जनवरी को जोड़ते हुए पहला और फरवरी को आखिरी महीना घोषित कर दिया। फरवरी को जनवरी और मार्च के बीच में 452 ईसा पूर्व लाया गया। 

ईसा पूर्व पहली शताब्‍दी में रोमन कैलेंडर बहुत ही भ्रामक हो गया। अंत में जूलियस सीजर ने 46 ईसा पूर्व कैलेंडर में बड़े सुधार किए। 

इससे तारीखों की नई व्‍यवस्‍था स्‍थापित हुई। नए कैलेंडर को जूलियन कैलेंडर नाम दिया गया।

जूलियस ने सूर्यवर्ष की अवधारणा को अपनाते हुए साल में दिनों की संख्‍या को बढ़ाकर 445 कर दिया। इससे भी काफी भ्रम पैदा हुआ और 8 ईसा पूर्व तक ये पूर्ण चलन में नहीं आ पाया।

ग्रेगोरियन कैलेंडर में भी है मामूली खामी
आजकल न्‍यू स्‍टाइल कैलेंडर चलन में है, जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है। इसे 1582 में पोप ग्रेगोरी-13 ने जूलियन कैलेंडर में सुधार के बाद तैयार किया। 

इसमें हर साल 365 दिन रखे गए। वहीं, कैलेंडर और मौसम में सामंजस्‍य बनाए रखने के लिए हर चौथे साल एक अतिरिक्‍त ‘लीप डे’ रखा गया।

बता दें कि एक सूर्य वर्ष में 365 दिन 5 घंटे, 48 मिनट और 42।25 सेकेंड होते हैं। इससे कैलेंडर के सटीकता में मामूली खामी है। इससे हर शताब्‍दी में मौसम और कैलेंडर की तारीखों में एक दिन का अंतर आ जाता है।

किस सभ्‍यता में कब मनाते हैं नया साल
हिंदू नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत भी कहते हैं। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है। ईसाई 1 जनवरी को नव वर्ष मनाते है। करीब 4000 साल पहले बेबीलोन में नया साल 21 मार्च को मनाया जाता था। बाद में रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की और दुनिया में पहली बार 1 जनवरी को नया साल मनाया गया। यही सबसे ज्यादा प्रचलित नव वर्ष है। सिंधी नव वर्ष चैत्र शुक्ल द्वितीया को चेटीचंड उत्सव से शुरु होता है। पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो अप्रैल में आता है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन नया साल होता है। जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन, तो पारसी नव वर्ष अगस्त में नवरोज पर मनाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap