सीमा पर हुए भारत-चीन तनाव पर अमेरिका की भी प्रतिक्रिया आई है।
अमेरिका ने मामला शांत होने को लेकर खुशी जाहिर की है। साथ ही बताया है कि इस मामले पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
शुक्रवार को भारतीय और चीनी सेना के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्ष के सैनिकों को चोटें आई हैं।
कहा जा रहा है कि भारतीय सेना के मुकाबले चीनी सैनिक ज्यादा बड़ी संख्या में घायल हुए हैं।
व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन प्रशासन इस बात से खुश है कि तवांग सेक्टर में टकराव के बाद दोनों देशों के सैनिक जल्दी से पीछे हट गए।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरीन जीन पीयर ने कहा कि अमेरिका हालात पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं और विवादित सीमा पर चर्चा के लिए दोनों देशों से मौजूदा द्विपक्षीय रास्तों का इस्तेमाल करने के लिए कहता है।
उन्होंने कहा, ‘हमें खुशी है कि दोनों पक्ष टकराव से जल्दी पीछे हट गए। हम हालात पर नजर रख रहे हैं और भारत और चीन को विवादित सीमा पर बात करने के लिए द्विपक्षीय रास्तों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’
खास बात है कि अमेरिका और भारत ने उत्तराखंड के ओली में सैन्य अभ्यास किया था। यह जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा से 100 किमी की दूरी पर थी।
राजनाथ सिंह ने दी जानकारी
सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘नौ दिसंबर को, पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और एकतरफा रूप से यथास्थिति बदलने की कोशिश की।
चीन की कोशिश का हमारे सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया।’ उन्होंने कहा, ‘इसके चलते झड़प हुई, जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उसे अपनी चौकियों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया।
झड़प में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आईं।’
सिंह का बयान भारतीय सेना द्वारा बयान जारी किए जाने के एक दिन बाद आया। उन्होंने कहा, ‘मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूं, कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है, और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।’
तवांग में क्या हुआ था
खबर है कि जब चीन ने इलाके में यथास्थिति बदलने की एकतरफा कोशिश की, तो उस दौरान जम्मू और कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फेंट्री के सैनिक झड़प वाले स्थान पर मौजूद थे।
चीनी डंडों और अन्य चीजों के साथ झड़प करने वाले थे। वहीं, भारतीय सैनिक भी तैयार थे।