चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर ठनती नजर आ रही है। इस बार मामला है, दो चीनी अधिकारियों के ऊपर अमेरिका द्वारा लगाया गय प्रतिबंध।
अमेरिका ने यह प्रतिबंध चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर लगाया है।
चीन ने इस प्रतिबंध को सीनो-यूएस समझौते का उल्लंघन भी बताया है। चीन ने इस आरोप को भी नकार दिया है कि तिब्बत में धार्मिक गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करता है।
प्रतिबंध हटाने की मांग
चीन की यह प्रतिक्रिया अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के बयान के बाद आई है। इस बयान के मुताबिक अमेरिका ने चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के चीफ वू यिंगजी और तिब्बत में सीनियर पब्लिक सिक्योरिटी अफसर झांग होंग्बो पर प्रतिबंध लगाया है।
चीनी मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेनबिन ने कहा कि अमेरिका द्धारा उठाया गया यह कदम चीन के आंतरिक मामलों में दखल है। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय नियमों का भी उल्लंघन है।
साथ ही उन्होंने कहा कि हमने अमेरिका से मांग की है कि वह इन तथाकथित प्रतिबंधों को जल्द हटा ले।
अमेरिकी राजदूत की भी आलोचना
वैंग ने कहा कि अमेरिका ने सीनो-यूएस संबंधों को गहरा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को कोई अधिकार नहीं कि वह अन्य देशों पर हर कदम पर प्रतिबंध लगाता फिरे।
इसके अलावा वैंग ने अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न के बयान की भी आलोचना की है। बर्न ने कहा कहा था कि जिस तरह से चीन हांगकांग, तिब्बत और शिनजियांग में मानवाधिकारों की रक्षा में विफल हुआ है, उसने अमेरिका को गहरी चिंता में डाल दिया है।
वैंग ने कहा कि हम अमेरिका से यही कहना चाहेंगे वह चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करे।