वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी 20-25 काम शुरू नहीं,ठेकेदार के लापता होने पर कांग्रेस-भाजपा के पार्षदों की शिकायत पर निगम, प्रशासन ने बुलाई बैठक…

नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी ने पार्षदों से लेकर अफसरों को भी परेशान कर दिया है।

सड़क, नाली, भवन और दूसरे कामों का टेंडर लेने के बाद ठेकेदारों ने काम शुरू ही नहीं किया है। वहीं ज्यादातर काम अधूरे पड़े हुए हैं। इससे पार्षदों में नाराजगी है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल के पार्षदों ने इसकी शिकायत निगम प्रशासन से की। कार्यपालन अभियंता पर काम जल्द शुरू कराने का दबाव बनाया।

इसके बाद ईई यूके रामटेके ने सोमवार को ठेकेदारों की बैठक बुलाई। लेकिन इस बैठक में भी टेंडर लेने वाले ज्यादातर ठेकेदार पहुंचे ही नहीं।

जो ठेकेदार बैठक में शामिल हुए। उन्हें अधूरे कार्यों को जल्द पूरा करने की हिदायत दी गई।

अफसरों ने बताया कि 20 से 25 कामों का टेंडर कर वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है। इसके बाद भी ठेकेदारों ने काम शुरू नहीं किया है। बीते दिनों आयुक्त ने दो ठेकेदारों की निविदा भी निरस्त कराई थी।

काम में देर करने वाले ठेकेदारों को भी बार-बार नोटिस दिया जा रहा है। इसके बाद भी स्थिति यथावत है।

इसे ही देखते हुए निगम ने ठेकेदारों की बैठक बुलाई। लेकिन इस बैठक को भी ठेकेदारों ने दरकिनार कर दिया। इससे निर्धारित समय पर शहर के मूलभूत कार्यों के पूरा होने में संशय की स्थिति है।

पार्षदों ने कहा: वार्डवासियों की बातें सुननी पड़ रही
काम में लेटलतीफी और वर्क ऑर्डर के बाद भी शुरू नहीं होने का बड़ा खामियाजा पार्षदों को भुगतना पड़ रहा है।

अलग-अलग वार्ड के पार्षदों ने इसकी शिकायत भी की है। जिसमें उन्होंने बताया है कि लोगों की डिमांड पर ही इन कामों का प्रस्ताव बनाया गया है।

अब जब स्वीकृति और टेंडर हो तो ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। इससे पार्षदों को वार्डवासियों से खरी खोटी सुननी पड़ रही है।

शिकायत करने वालों में कांग्रेस और भाजपा के दोनों ही पार्षद शामिल हैं। कई पुराने काम लगभग सालभर से बंद पड़े हैं। जिसे पूरा कराने की मांग कर चुके हैं।

राजनीति हावी, ज्यादातर ठेकेदार अनुभवहीन हैं
निगम के कामकाज पर राजनीति भी भारी पड़ रही है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर काम अनुभवहीन ठेकेदारों को दिया गया है।

इसके चलते ठेकेदार समय पर और बेहतर गति से काम नहीं कर पा रहे हैं। इधर मामले को लेकर ईई यूके रामटेके ने बताया कि ठेकेदारों की बैठक लेकर उन्हें निर्धारित समय पर काम पूरा करने कहा गया है।

वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले अनुबंध के मुताबिक काम करने कहा गया है। विभागीय अफसरों को भी मानिटरिंग व स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही पर होने कार्रवाई की जाएगी।

नोटिस की औपचारिकता सख्ती नहीं बरती जा रही
इधर ठेकेदारों की मनमानी के सामने अफसर भी नतमस्तक हैं। लंबे समय से काम अधूरा छोड़ने के बाद भी केवल नोटिस की औपचारिकता पूरी की जा रही है।

सोमवार को बैठक में भी ऐसे काम और ठेकेदारों की सूची बनाई गई। जिन्हें फिर से नोटिस देने की तैयारी है।

निगम प्रशासन ठेकेदारों पर सख्त रवैया नहीं अपना पा रहा है। इसके चलते ही ऐसी स्थिति बनी हुई है। बैठक में विभाग के इंजीनियर भी मौजूद रहें।

जि‍न्हें ईई ने सभी कामों के वर्तमान स्थिति का निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाने कहा। विवाद वाले मामलों का भी निपटारा करने की बात कही।

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