आज के समय में हर कोई गूगल में कुछ न कुछ जानकारी के लिए सर्च करता ही है। यह लोगों की दिनचर्या बन चुकी है।
लेकिन गूगल में अपलोड कस्टमर केयर के सभी नंबर सही नहीं बल्कि कई फर्जी भी हैं।
अगर आपके मोबाइल में पैसा ट्रांसफर करने कोई ऐप इंस्टॉल है, और आपको एनी डेस्क ऐप डाउनलोड करने के लिए कोई कहे या सोशल मीडिया में इससे संबंधित लिंक आ रहा है तो अलर्ट हो जाइए क्योंकि यह ठगी का नया ट्रेंड है।
दो माह में बालोद, दुर्ग, धमतरी, राजनांदगांव व रायपुर सहित अन्य जिलों में 12 मामले में 42 लाख की ठगी हो चुकी है।
यह न्यूनतम आंकड़ा है, जो थाने में दर्ज है। जिसकी पुष्टि पुलिस ने भी की है। सभी मामलों में आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। अभी जांच चल रही है।
इसके अलावा कई मामले ऐसे भी होंगे, जिसकी शिकायत बदनामी के चलते लोगों ने नहीं की। या पुलिस को सिर्फ आवेदन ही दिया होगा जिसका पुलिस अपने स्तर पर जांच कर रही होगी, इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं हुई होगी।
ऑनलाइन खरीदारी या किसी दूसरे के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए अधिकांश लोग अब विभिन्न तरह के ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
अगर मोबाइल पर किसी सोशल मीडिया के जरिए एनी डेस्क मोबाइल ऐप का लिंक फॉरवर्ड होकर आ जाए तो उस पर क्लिक करने से बचें, वरना यह ऐप आपको कंगाल कर सकता है।
पुलिस भी स्वीकार कर रही है कि साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए एनी डेस्क ऐप का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि इसमें ओटीपी बताने की जरूरत नहीं पड़ती।
बताया, कैसे काम करता है एनी डेस्क ऐप
साइबर सेल के पूर्व जिला प्रभारी रोहित मालेकर ने बताया कि एनी डेस्क ऐप ऐसा सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर व मोबाइल में चलता है।
इसकी मदद से किसी कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट को किसी दूसरे स्थान में बैठा व्यक्ति ऑपरेट कर सकता है।
जब इस सॉफ्टवेयर की मदद से कोई व्यक्ति किसी दूसरे के डिवाइस को ऑपरेट कर लेता है तो वह उस डिवाइस में मौजूद सारे डाटा, मैसेज, ओटीपी आदि देख सकता है। कुछ व्यक्ति गूगल पर मौजूद कस्टमर केयर का नंबर सर्च करके इस्तेमाल करते हैं।
कुछ मामलों में पीड़ित खुद कुछ समस्याओं के समाधान के लिए कस्टमर केयर को कॉल करता है।
ऐसे में धोखाधड़ी करने वाले का उद्देश्य पीड़ित के मोबाइल पर कैसे भी करके एप डाउनलोड कराना होता है।
इसमें 9 अंकों के रिमोट डेस्क कोड की आवश्यकता होती है। जब उपभोक्ता बैंकिंग या यूपीआई एप का आईडी या पासवर्ड टाइप करता है तो ठग उसे नोट कर लेता है। यह एप फोन के लॉक होने पर भी काम करता है।
जानिए, ऐप के जरिए किस तरह की गई ठगी
केस 1- बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम नवागांव निवासी टोमन लाल साहू ने बताया कि एनी डेस्क डाउनलोड किया और दो बैंक खाते से एक लाख 75 हजार 420 रुपए गायब हो गए।
3 दिसंबर को गुंडरदेही थाने में धारा 420 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। गूगल से फोन पे का कस्टमर नंबर निकाला जिसके बाद 63705- 85467 एवं 74396-68990 में कॉल किया।
केस 2 – धमतरी जिले के ग्राम कुरमातराई निवासी टानेश्वर साहू ने बताया कि एसबीआई कार्ड बंद कराने के नाम पर अज्ञात आरोपी का कॉल आया। जिसके बाद एनी डेस्क डाउनलोड करवाकर मोबाइल को हैक कर लिया व 8 लाख 44 हजार 477 रुपए की ऑनलाइन ठगी कर ली। एनी डेस्क एप डाउनलोड कराकर एसबीआई कार्ड संबंधित जानकारी मांगी गई थी।
केस 3 – दुर्ग के बोरसी हाउसिंग बोर्ड निवासी बाबू गोविंदन ने बताया कि 5 दिसंबर को एक मैसेज आया कि आपकी बकाया राशि 3750 है। गूगल से सर्च करके कस्टमर केयर का नंबर निकाला।
जिसके बाद 82495- 29817 में कॉल किया दूसरे नंबर 78659- 35485 से कॉल कर एनी डेस्क एप डाउन लोड कराया और दो बैंक खाते से 6 लाख 28 हजार 186 रुपए निकल गए।
केस 4- कुंज विहार कॉलोनी राजनांदगांव निवासी द्वारिका प्रसार लोन्हारे को मोबाइल नंबर ब्लाॅक होने का झांसा देकर एनी डेस्क डाउनलोड करवाकर 4 लाख 84 हजार रुपए की ऑनलाइन ठगी कर ली।
सबसे पहले रिचार्ज संबंधित मैसेज भेजकर मोबाइल नंबर ब्लाॅक होने की जानकारी दी गई। मोबाइल नंबर में कॉल किया तो एनी डेस्क एप डाउनलोड करने कहा गया।
इन नंबरों में कॉल न करें और न ही अटेंड
मोबाइल नंबर 8249529817, 7865935485, 9580766011, 79086- 67839, 8809325236, कस्टमर केयर नंबर 63705- 85467 व 7439668990 से अगर कॉल आ रहा है तो अटेंड न करें।