गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 156 सीटें जीतकर नया कीर्तिमान बनाया है, वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनावों से बदतर प्रदर्शन करते हुए सिर्फ 17 सीटें हासिल की हैं, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे कम है।
इससे पहले इतनी कम सीटें कांग्रेस को कभी नहीं मिलीं। पांच साल पहले कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं, जो आज से 60 ज्यादा है। वहीं बीजेपी पिछले चुनाव में 99 सीट जीती थी जो आज से 57 कम है।
उधर, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने साल 2003 जैसा प्रदर्शन करते हुए 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटें हासिल की हैं, जो उसके लिए उत्तर भारत में प्राणवायु से कम नहीं है।
गुजरात में जहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक थे, वहीं हिमाचल प्रदेश में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट पर्यवेक्षक की भूमिका में थे।
पार्टी ने गहलोत के करीबी रघु शर्मा को गुजरात में कांग्रेस का प्रभारी भी बनाया था, ताकि वहां जीत मिल सके।
गहलोत और शर्मा ने गुजरात में कई रैलियां और धुआंधार चुनाव प्रचार किया लेकिन पार्टी ने ऐतिहासिक खराब प्रदर्शन किया।
हालांकि, 2017 में भी गहलोत ने वहां पार्टी का मोर्चा संभाला था और 77 सीटें जीतकर बीजेपी को 99 पर समेट दिया था लेकिन इस बार जादूगर (अशोक गहलोत) का जादू नहीं चल सका।
उधर, राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट हिमाचल चुनावों में जीत की रणनीति बनाने वालों में अहम रहे हैं। पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर उतारा था। पायलट ने कांगड़ा, मंडी और शिमला में धुआंधार प्रचार किया।
पायलट ने अपनी हर जनसभा में बीजेपी की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधा और बेरोजगारी, महंगाई, ओल्ड पेंशन समेत तमाम मुद्दों को उठाया। कांगड़ा जिले की 15 सीटों में से 11 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
पायलट ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा के साथ आक्रामक चुनावी रणनीति बनाई और बीजेपी के बड़े नेताओं खासकर जेपी नड्डा के गढ़ में बीजेपी के खिलाफ मजबूत किलेबंदी की।
पायलट को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिमाचल के नेताओं को यह कहते हुए भी देखा गया था कि ‘आप चिंता मत करो मैं जिताकर जाऊंगा.. आधा काम करते ही नहीं हम।’
अब जब दोनों राज्यों के चुनावी परिणाम सामने आ गए हैं, तब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस आलाकमान हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत का इनाम पायलट को देगी? राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि पार्टी उनके परफॉर्मेन्स पर नजर रख रही है। सूत्रों के मुताबिक धीरे-धीरे पायलट का दबदबा भी पार्टी पर बनता दिख रहा है।
अभी चूंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में है और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी राजस्थान के रणथंभौर में हैं।
लिहाजा, सचिन पायलट के काम की समीक्षा और आगे की जिम्मेदारियों का भी आंकलन साथ-साथ चल रहा है।
राहुल की यात्रा में लगे सचिन पायलट के पोस्टर भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि आने वाले समय में पायलट के कंधों पर पार्टी नई जिम्मेदारी सौंप सकती है।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के समय से ही अशोक गहलोत और गांधी परिवार के बीच रिश्तों के ग्राफ में उतार आया है।