तमिलनाडु के कुंभकोणम में एक हिंदू संगठन के डॉ. भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर उनके भगवा वस्त्र पहने और उनके माथे पर चंदन का टीका लगा दिखाने वाले पोस्टर को लेकर मंगलवार को एक विवाद खड़ा हो गया।
विदुतलई चिरुतैगल काची (वीसीके) के सदस्यों ने फौरन इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। ये पोस्टर डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि पर लगाए गए थे।
विवाद के बीच इंदु मक्कल काची (आईएमके) के संस्थापक अर्जुन संपत ने यहां मंगलवार शाम भारी पुलिस सुरक्षा के साथ राजा अन्नामलईपुरम में आंबेडकर के स्मारक सभागार में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इससे पहले उनके संगठन ने मद्रास उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया कि वे किसी के खिलाफ कोई नारेबाजी नहीं करेंगे या भाषण नहीं देंगे और आईएमके सदस्य ‘भगवा धोती’ नहीं पहनेंगे या डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर पवित्र राख नहीं लगाएंगे।
चेन्नई में तमिलनाडु के राज्यपाल आर एनरवि ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। कुंभकोणम में अचानक पोस्टर लगाए जाने के तुरंत बाद वीसीके सदस्यों ने आंबेडकर के अपमान के लिए आईएमके पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
इसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और विवादित पोस्टर को हटाया। जबकि आईएमके संस्थापक अर्जुन संपत ने कहा कि आंबेडकर को हिंदू के तौर पर दर्शाने वाले पोस्टर में कुछ भी गलत नहीं है।
गौरतलब है कि भारत के संविधान निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था और 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया।
अपने जीवन में डॉ. अंबेडकर ने दलितों, मजदूरों और महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई बड़े सुधारों की नींव रखी।
आजाद भारत में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने के लिए उनके संघर्ष ने देश की मौजूदा सामाजिक और कानूनी व्यवस्था को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई।