प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार): मार्गशीर्ष का महीना भगवान विष्णु को समर्पित है।
इस महीने में पड़ने वाला व्रत-त्योहर और मांगलिक कार्यों का खास महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) 5 दिसंबर 2022 सोमवार को त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवजी के भक्त महादेव की पूजा करते हैं और उनसे मनोकामना पूर्ति के लिए विनती करते हैं।
प्रदोष का व्रत शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बहुत उत्तम माना गया है इस बार सोम प्रदोष पड़ रहा है इसलिए इसका बहुत अधिक महत्व और शुभ माना जा रहा है।
मान्यता है कि भी देवताओं में शिवजी ही एक ऐसे देवता है जो अपने सच्चे भक्तों की भक्ती से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत का मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
मार्गशीर्ष सोम प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी जो अगले दिन 06 दिसंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगी।
शिव पूजा का मुहूर्त
प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा के लिए 5 दिसंबर 2022 को शाम 05:33 – रात 08:15 तक रहेगा। प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की आराधना प्रदोष काल यानी शाम के समय करना बहुत लाभकारी माना जाता है क्योंकि इस दौरान महादेव प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर रजत भवन में नृत्य करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत पूजा सामग्री
सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए गाय का दूध, मंदार पुष्प, पंच फल, कपूर, धूप, पंच मेवा, पंच रस, गन्ने का रस, बेलपत्र, इत्र, गंध रोली, पंच मिष्ठान्न, जौ की बालें, मौली जनेऊ, दही, देशी घी, शहद, दीप, गंगा जल, धतूरा, भांग, बेर, आदि आम्र मंजरी, रत्न, दक्षिणा, चंदन और माता पार्वती के श्रृंगार की पूरी सामग्री आदि होना आवश्यक है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा की जाती है।
ऐसे में इस दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें। पूजा के दौरान लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र पहनना शुभ होता है। इस दिन तांबे या चांदी के लोटे से शुद्ध शहद एक धार के साथ शिवलिंग पर श्रद्धापूर्वक अर्पित करना चाहिए।
इसके साथ ही शुद्ध जल से शिविलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इस दौरान “ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः” इस मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
इसके साथ ही भगवान को फूल, मिठाई और फल अर्पित करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। साथ ही शिव चालीसा का भी पाठ करें। इसके अलावा इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी शुभ होता है।