अंग्रेजों को लिखे पत्र में महात्मा गांधी ने भी लिखा था ‘Your Obedient Servant’, सावरकर पर राहुल गांधी का हमला कितना सही?…

विनायक दामोदर सावरकर को लेकर भाजपा और कांग्रेस में टकराव अकसर देखने को मिलता है।

एक तरफ भाजपा जहां वीडी सावरकर का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में बताती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस उन्हें अंग्रेजों का सेवक और माफी मांगने वाला बताया करती है।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी वीडी सावरकर का एक पत्र दिखाते हुए राहुल गांधी ने हमला बोला था। हालांकि उनके बयान पर विवाद पैदा हो गया और फिर कांग्रेस खुद ही इससे दूर भागने लगी।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और डर की वजह से दया याचिका लिखी थी। 

राहुल गांधी के बयान पर ना केवल भाजपा ने पलटवार किया था बल्कि शिवसेना नेता संजय राउत ने भी आपत्ति जताई थी।

उन्होंने कहा था कि उनके इस बयान ने यात्रा की उपलब्धि पर पानी फेर दिया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि राहुल गांधी को जानकारी कम है। 1857 के विद्रोह को जिसने स्वाधीनता संग्राम नाम दिया था वह कोई और नहीं बल्कि सावरकर ही थे। 

चिट्ठी की किस बात पर बोले थे राहुल गांधी
राहुल गांधी ने सावरकर की अंग्रेजों को लिखी गई एक चिट्ठी सार्वजनिक की थी और कहा था कि इसमें लिखा गया है, ‘आइ बेग टु रिमेन योर मोस्ट ओबीडियंट सर्वेंट।’

राहुल गांधी ने कहा था कि इसका मतलब हातो है, मैं अपका हमेशा नौकर रहना चाहता हूं। हालांकि उनके बयान के बाद बवाल खड़ा हो गया।

सोशल मीडिया पर भी लोग कुछ सबूतों के साथ राहुल गांधी की बात को गलत ठहराने लगे। वहीं महात्मा गांधी के लिखे कुछ पत्र भी सोशल मीडिया पर शेयर किए गए जिसमें उन्होंने ‘योर ओबीडियन्ट सर्वेंट’ का इस्तेमाल किया था। 

एक पत्र सामने आया जो कि महात्मा गांधी ने अंग्रेज अधिकारी क्लेम्सफोर्ड को लिखा था। इसमें उन्होंने इसी फ्रेज का इस्तेमाल भी किया था।

हालांकि पत्र में महात्मा गांधी के स्वर दबे हुए नहीं थे। उन्होंने अंग्रेजी सत्ता को चेतावनी दी थी कि वह असहयोग आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं।

यह अकेला ऐसा पत्र नहीं था जिसमें इस फ्रेज का इस्तेमाल  हुआ बल्कि अंग्रेजों का विरोध करने वाले कई नामी हस्तियों ने ऐसे पत्र लिखे थे। 

‘Your Obedient Servant’ का इस्तेमाल क्यों?
जिस तरह से पत्रों पर इस फ्रेज का इस्तेमाल किया गया है ऐसा लगता है कि उस समय ‘भवदीय’ या ‘आपका’ जैसे शब्दों की जगह अंग्रेजी में योर ओबीडिएंट सर्वेंट लिखा जाता था। सोशल मीडिया पर 1859 का अब्राहम लिंकन का लिखा एक पत्र भी मिला जिसमें इसी फ्रेज का इस्तेमाल किया गया था।

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