प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नो मनी फॉर टेरर’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आंतकवाद को दुनिया और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया है।
दुनिया के 36 देश आंतकवाद से निपटने के लिए बीते 13 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ काउंटर टेररिज्म (यूएनओसीटी) को कुल 34.2 करोड़ डॉलर दान दे चुके हैं।
साल 2018 तक दान में मिली कुल राशि 22.06 करोड़ डॉलर थी, यानी चार साल में यह राशि डेढ़ गुना तक बढ़ गई।
यूएनओसीटी के अनुसार, भारत ने इस दौरान कुल 15 लाख डॉलर की राशि आतंक के खिलाफ लड़ाई के लिए दान दी है।
यूएनओसीटी इस राशि से आंतकवाद से ग्रसित देशों में आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाता है। संगठन 85 देशों में सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है।
लगातार बढ़ रही दान राशि
वर्ष कुल दान
2018 22.06
2019 23.06
2020 26.74
2021 28.68
202 34.02
(राशि करोड़ डॉलर में)
(स्रोत: यूएनओसीटी)
यूएनसीसीटी को भी मिले 16.4 करोड़ डॉलर
संयुक्त राष्ट्र के काउंटर टेररिज्म सेंटर (यूएनसीसीटी) की स्थापना 2011 में हुई थी। इसके तहत इस साल 30 सितंबर तक दुनिया के 30 देशों ने कुल 16.4 करोड़ डॉलर की राशि दान में दी है।
इस राशि के जरिए संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन पटरी पर लाने और सुरक्षा व्यवस्था के लिए काम करता है।
इस साल सऊदी अरब ने सबसे अधिक दस करोड़ डॉलर दान में दिए हैं। वर्ष 2021 में यूरोपीय संघ ने सबसे अधिक 28,15,315 डॉलर दान दिया था।
किस देश ने कितना दान किया
देश राशि (डॉलर में)
कनाडा 11,38,987
फ्रांस 3,47,220
जर्मनी 5,63,063
इटली 2,70,270
भारत 5,00,000
(स्रोत: यूएनसीसीटी-2021)
अमेरिका और नाटो खर्च करने में आगे
अमेरिका: होमलैंड सिक्योरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, आंतकी घटनाओं की रोकथाम और सुरक्षा चक्र को मजबूत बनाने के लिए अमेरिका हर साल औसतन 17,500 करोड़ डॉलर खर्च करता है।
अफगानिस्तान, इराक जैसे देशों में आतंकवाद से सीधी लड़ाई में अमेरिकी सरकार ने हजारों करोड़ डॉलर पानी की तरह बहाए हैं।
नाटो: दुनिया के 30 देश इसके अंतर्गत आते हैं। इन देशों ने लक्ष्य बनाया है कि वर्ष 2024 तक कुल जीडीपी का दो फीसदी हिस्सा आंतकवाद से रक्षा और निपटने के लिए खर्च करेंगे।
इसमें से भी 20 फीसदी रकम आधुनिक हथियार खरीदने में खर्च होगी। बीते तीन साल में ये देश 4600 करोड़ डॉलर खर्च कर चुके हैं।
आतंकवाद से सर्वाधिक मौतें (शीर्ष पांच देश)
देश मौतें
नाइजीरिया 18,952
सोमालिया 4,472
सूडान 2,664
लीबिया 1,413
केन्या 1426
(मौतें 2007 से 2016 के बीच)
(स्रोत: यूएनडीपी-2019)
दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान
– ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की रिपोर्ट के अनुसार, आंतकवाद के कारण वर्ष 2000 से 2018 के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था को कुल 85,500 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ।
– दुनिया के लिए 2014 सबसे बुरा साल रहा। इस साल 33,555 लोग आतंकी गतिविधियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे और वैश्विक अर्थव्यवस्था को 11,100 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ।
– आंतक से पर्यटन क्षेत्र को भी भारी क्षति होती है। 1974 से 1988 के बीच यूरोपीय देशों में बढ़ती आतंकी घटनाओं की वजह से अकेले पर्यटन क्षेत्र को 1,615 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।
आतंक की आड़ में राजनीति
अफगानिस्तान: तालिबान ने यहां की सत्ता पर दोबारा कब्जा कर लिया है। असंवैधानिक तरीके से उसने यहां सरकार भी बना ली है।
तालिबानी शासक देश की राजनीति और लोगों के अधिकार अपने हिसाब से तय कर रहे हैं। दुनिया इसके खिलाफ है लेकिन हुक्मरानों पर इसका कोई असर नहीं है।
चीन: चीन दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन आंतक के खिलाफ वो कमजोर दिखता है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तानी मूल के कुछ आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय आंतकी घोषित करने के लिए वोटिंग से वह मुकर गया और भारत-अमेरिका के खिलाफ जाकर मतदान किया।
रूस: यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे रूस पर आरोप लगा है कि वो आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को लड़ाई में उतार चुका है, जो वहां की सेना के साथ स्थानीय लोगों का नरसंहार कर रहे हैं।
इसी को लेकर रूस के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने युद्ध अपराध की जांच शुरू की थी।
पाकिस्तान: यहां के राजनेताओं, सेना और आतंकी संगठनों के बीच मिलीभगत का आरोप लगता रहा है। भारत के खिलाफ पाक लगातार आतंकी घटनाओं को अंजाम देता आया है।
अमेरिका ने 9/11 के साजिशकर्ता ओसामा बिन लादेन को मारा। वहीं, भारत में 26/11 हमले के बाद जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने पाक को बेनकाब किया था।