प्रवीण नागिया (ज्योतिष सलाहकार): चंपा षष्ठी का दिन दिन भगवान शिव को समर्पित है।
इस दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदपुराण के अनुसार यह पर्व भगवान कार्तिकेय को भी समर्पित है।
यह वजह है कि इस पर्व को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन कई जगहों पर भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत किया जाता है।
घर में लोग विधि पूर्वक व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल चम्पा षष्ठी 29 नवंबर को पड़ रही है। ऐसे में साल 2022 में चम्पा षष्ठी का व्रत 29 नवंबर, मंगलवार को रखा जाएगा।
शिवजी को लगाए जाते हैं बैंगन-बाजरे का भोग
चंपा षष्ठी को छठ पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है।
खासतौर से ये पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाता है। ये दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप को समर्पित है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवजी का ध्यान किया जाता है।
मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर दूध और गंगाजल चढ़ाया जाता है। इसके बाद फूल, अबीर, बेल पत्र चढ़ाते हैं और देसी खांड का भोग लगाकर बांटा जाता है।
चंपा षष्ठी 2022 तिथि:
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 28 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से हो रहा है।
यह तिथि अगले दिन 29 नवंबर मंगलवार को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, चंपा षष्ठी का व्रत 29 नवंबर मंगलवार को रखा जाएगा।
चंपा के फूलों से होती है भगवान कार्तिकेय की पूजा
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। घी, दही और जल से अर्घ्य दिया जाता है।
इसके बाद भगवान कार्तिकेय को और फूल चढ़ाए जाते हैं। खासतौर से इस दिन भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल चढ़ाए जाते हैं।
फिर रात्रि में भूमि पर शयन करने की परंपरा है। इस दिन तेल का सेवन नहीं किया जाता है और अगले दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।
इस दिन व्रत और पूजा करने का महत्व
इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से पाप खत्म होते हैं, ऐसी मान्यता है। इसके साथ ही परेशानियां दूर होती हैं, सुख-शांति भी मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि चंपा षष्ठी व्रत से प्रसन्नता बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है।
भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं। मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)