भारत ने 2022 की पहली छमाही में सौर उत्पादन के माध्यम से ईंधन लागत (fuel cost) में 4।2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32603 करोड़ रुपये) की बचत की है।
गुरुवार यानी 10 नवंबर को इसे लेकर एक नई रिपोर्ट जारी की गई है।
एनर्जी थिंक टैंक एम्बर, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की रिपोर्ट ने भी पिछले दशक में सौर ऊर्जा के विकास का विश्लेषण किया और पाया कि सोलर कैपिसिटी वाली शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में से 5 (चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और वियतनाम) अब एशिया से हैं।
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 प्रमुख एशियाई देशों चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलीपींस और थाईलैंड में सौर उत्पादन के योगदान ने जनवरी से जून 2022 तक लगभग 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संभावित जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) लागत से बचा लिया गया। यह इस अवधि के दौरान कुल जीवाश्म ईंधन लागत के 9 प्रतिशत के बराबर है।
रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि भारत में सौर उत्पादन से साल की पहली छमाही में ईंधन लागत में 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचाए।
इस उत्पादन ने 19.4 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता को भी टाल दिया जो पहले से ही तनावपूर्ण घरेलू आपूर्ति पर जोर देता है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि अनुमानित 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत का अधिकांश हिस्सा चीन का है।
यहां सोलर एनर्जी बिजली की कुल मांग का 5 प्रतिशत पूरा करता है और इस अवधि के दौरान अतिरिक्त कोयला और गैस आयात में लगभग 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा लिया जाता है।
जापान की बात करें तो यहां दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव देखा गया है। जापान ने अकेले सौर ऊर्जा उत्पादन के कारण ईंधन की लागत में 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की है।
वहीं वियतनाम ने सौर ऊर्जा का उत्पादन कर जीवाश्म ईंधन लागत में 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचाए।
वहीं थाईलैंड और फिलीपींस में जहां सौर ऊर्जा की वृद्धि धीमी रही है, दोनों देशों ने जीवाश्म ईंधन लागत में कितनी बचत की है इसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है।