तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने मुनूगोड़े विधानसभा सीट के उपचुनाव में जीत हासिल की है।
टीआरएस उम्मीदवार कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी ने भाजपा के अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी कोमातीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी को 10 हजार से अधिक मतों से हरा दिया।
राज्य के मंत्री व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बेटे के. टी. रामाराव ने ट्वीट किया, ‘टीआरएस पार्टी और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करने के लिए मुनूगोड़े के लोगों को धन्यवाद। वादे के अनुसार हम इस निर्वाचन क्षेत्र में लंबित कार्यों की शीघ्र प्रगति की दिशा में काम करेंगे।’
अगस्त में कांग्रेस विधायक कोमातीरेड्डी राज गोपाल रेड्डी के पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी।
कांग्रेस प्रत्याशी को इस उपचुनाव में भले ही जीत न मिली हो, लेकिन उसके लिए यह काफी खास रहा। एक समय तेलंगाना कांग्रेस के लिए राजनीतिक ताकत के तौर पर काफी अहम हुआ करता था।
2004 और 2009 में कांग्रेस के केंद्र की सत्ता पर काबिज होने में इस राज्य से पार्टी को बड़ी मदद मिली।
कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी को अक्सर तेलंगाना के गठन का श्रेय दिया जाता रहा है। इसके बावजूद पार्टी इससे राजनीतिक लाभ हासिल करने में असमर्थ रही।
मालूम हो कि 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया। माना जाता है कि राज्य के टूटने और हैदराबाद के बंटवारे से आंध्र प्रदेश के लोग खुश नहीं थे। इसका नकुसान राज्य में कांग्रेस को साफ तौर पर हुआ।
2018 के तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस ने 117 में से 19 विधानसभा सीटें जीतीं। उत्तम कुमार रेड्डी सांसद बने तो 2019 में विधायक का पद छोड़ दिया।
उसी साल 12 विधायक सत्तारूढ़ टीआरएस से जा मिले, जिसके बाद कांग्रेस के पास सिर्फ 6 सीटें रह गईं। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने तेलंगाना में मुख्य विपक्षी दल का अधिकार भी खो दिया।
मुनूगोड़े में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है। पार्टी के लिए अपनी ताकत दिखाने का यह एक मौका था। कांग्रेस ने उपचुनाव में पलवई श्रावंती को अपना उम्मीदवार बनाया, जिनके पिता ने लंबे समय तक इस क्षेत्र की सेवा की थी। पार्टी को उम्मीद थी कि 1.2 लाख महिला मतदाता उनका समर्थन करेंगी।