अक्षमता की ओर ले जाता है इसके कोई सबूत नहीं… आरक्षण पर बोले नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी…

नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ने शुक्रवार को कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजनीति में महिलाओं और अनुसूचित जातियों और और जनजातियों के लिए आरक्षण भारी अक्षमता की ओर ले जाता है।

आरक्षण को योग्यता विरोधी होने की आलोचना का जवाब देते हुए बनर्जी ने कहा है कि अक्सर दावा किया जाता है कि किस तरह से यह आरक्षण भारी अक्षमता को जन्म देगा लेकिन इसके कोई सबूत देखने को नहीं मिले हैं।

बनर्जी ने ‘जमीन पर लोकतंत्र: क्या काम करता है, क्या नहीं और क्यों?’ विषय पर 27वां न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे स्मृति व्याख्यान देते हुए भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री ने बनर्जी ने कहा, ‘अक्सर दावा किया जाता है कि किस तरह से आरक्षण भारी अक्षमता को जन्म देगा, लेकिन आपके पास कोई सबूत नहीं है।

आप देखते हैं कि समय के साथ स्वतंत्र महिला विधायक इसके परिणामस्वरूप उभर रही हैं।’

उन्होंने आगे कहा, इस बात के पुख्ता सबूत है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं दोंनों के लिए आरक्षण का लाभकारी पड़ा देखने को मिला है।

बनर्जी ने कहा कि वो यह बात अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो सहित कई एक्सपर्ट की ओर से किए गए अध्ययनों के आधार पर कह रहा हूं जिन्होंने इस क्षेत्र में रिसर्च किया है।

अभिजीत बनर्जी को साल 2019 के लिए अर्थशास्‍त्र के नोबेल पुरस्‍कार के लिए चुना गया है। एस्‍थर डुफ्लो और माइकेल क्रेमर के साथ अभिजीत बनर्जी को ये पुरस्‍कार दिया गया है।

दोनों मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कैम्ब्रिज में प्रोफेसर हैं। वहीं क्रेमर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

इन तीनों अर्थशास्त्रियों को वैश्विक गरीबी और भुखमरी को दूर करने में किए गए योगदान के लिए एकसाथ नोबल पुरस्कार दिया गया।

अभिजीत बनर्जी ने यह भी कहा कि स्थानीय चुनावों में आरक्षण को असफल बनाने के लिए डिजाइन किया गया था।

स्थानीय स्तर पर स्व-सरकारी निकायों के लिए चुने गए बहुत से व्यक्तियों को सीटों के रोटेशन के कारण दूसरा रन नहीं मिलता है। इसलिए हम स्थानीय लोकतंत्र चाहते हैं लेकिन हम आरक्षण भी चाहते हैं।

निर्वाचन क्षेत्र बड़े होने पर भी उठाए सवाल

अभिजीत बनर्जी ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि लोकतंत्र काम करे तो हमारे पास छोटे निर्वाचन क्षेत्र होने चाहिए।

उदाहरण के लिए उन्होंने भारत की ब्रिटेन से तुलना करते हुए कहा कि भारत में लोकसभा की 540 सीटें हैं जबकि ब्रिटिश हाउस कॉमन्स में 650 संसद सदस्य हैं।

यहां की जनसंख्या यूनाइटेड किंगडम की जनसंख्या से 20 गुना अधिक है। यहां हर निर्वाचन क्षेत्र यूके की तुलना में 24 गुना बड़ा है।

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