मेडेन फार्मा कंपनी की तीन कफ सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी किया गया था।
दावा किया गया था कि गांबिया में इसी कंपनी की कफ सिरप की वजह से 66 बच्चों की मौत हो गई थी।
हालांकि अब गांबिया की मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी ने कहा है कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि खांसी की दवाई की वजह से ही बच्चों की किडनी खराब हुई थी।
मेडेन फार्मा ने भी आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि गांबिया ने अब तक पुष्टि नहीं की है कि बच्चों की मौत की वजह क्या थी।
मेडेन फार्मा ने कई बातें बताई हैं। कंपनी ने कहा कि वह कुछ भी घरेलू मार्केट में नहीं बेच रही है।
इसके अलावा वह अपना कच्चा माल प्रमाणित और प्रतिष्ठित कंपनयों से ही खरीदती है।
कंपनी ने कहा कि सीडीएससीओ के अधिकारी प्लांट पर गए थे और उन्होंने दवाइयों के सैंपल जांच की खातिर लिए हैं। कंपनी को जांच की रिपोर्ट का इंतजार है।
डब्लूएचओ के अलर्ट के बाद हरियाणा सरकार ने भी सोनीपत बेस्ड मेडेन फार्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी।
राज्य में कंपनी के उत्पादन पर रोक लगा दी गई थी, दावा किया गया था कि जांच के दौरान मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में कुछ गड़बड़ियां पाई गईं।
वहीं हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा था कि जिन तीन दवाइयों को लेकर अलर्ट जारी किया गया है उनके सैंपल कोलकाता भेजे गए थे।
कंपनी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था।
दरअसल WHO ने मेडेन फार्मा लिमिटेड की बनाई खांसी की दवाई पर चेतावनी जारी की थी।
रिपोर्ट्स में बताया गया था कि इन कफ सिरप में डाइथीलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की ज्यादा मात्रा मिलाई जा रही थी।
जो कि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक थी,इन दवाओं के नाम प्रोमेथाजिन ओरल सल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप और मकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कल्ड कफ सिरप थे।